MP में मवेशियों में लंपी वायरस के लक्षण, अलर्ट के साथ एडवाइज़री जारी, जानिए क्या है LSD

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Update: 2022-08-05 11:39 GMT

भोपाल। कोरोना वायरस और मंकी पॉक्स के खतरे के बीच मवेशियों में लंपी वायरस का खतरा मंडराने लगा है। मवेशियों को होने वाली लंपी वायरस का संक्रमण देशभर में तेजी से फैल रहा है। राजस्थान के बाद अब मध्यप्रदेश के रतलाम में भी दो मवेशियों में लंपी वायरस के लक्षण पाए गए हैं। इसके बाद पशुपालन विभाग ने प्रदेश में अलर्ट जारी कर दिया है। वेटरनरी विभाग के डायरेक्टर डॉ. आरके मेहिया ने सभी जिलों को एडवायजरी जारी की है।

लंपी वायरस रतलाम के दो अलग अलग गांवों की दर्जन भर गायों में पाई गई है। पशु चिकित्सा विभाग ने राज्यस्तरीय टीम गठित की है। यह टीम लंपी वायरस के संदिग्ध पशुओं के सैंपल लेकर राज्य प्रयोगशाला भेजेगी। यहां से सैंपल भोपाल के नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ हाई सिक्योरिटी एनिमल डिसीज (NIHSAD) में जांच के लिए भेजे जाएंगे। साथ ही इलाके के अन्य पशुओं की जांच भी की जाएगी।
लंपी वायरस क्या है?
लंपी वायरस मवेशियों में होने वाली बीमारी है। इसे LSD यानी लंपी स्किन डिसीज भी कहा जाता है। लंपी वायरस पॉक्स के जरिए मवेशियों में फैलती है और मच्छर और मक्खी के जरिए एक से दूसरे मवेशी तक पहुंचती है। इस बीमारी से ग्रसित मेवशी के शरीर की चमड़ी में छोटी छोटी गठानें बन जाती है और चमड़ी सिकुड़ने लगती है। इससे मवेशी की रोग प्रतिरोधक क्षमता घट जाती है। उसके शरीर पर जख्म बन जाते हैं। और वह खाना भी कम कर देता है। धीरे धीरे मवेशी का शरीर कमजोर पड़ जाता है।
उसके मुंह, गले, श्वास नली में तकलीफ और पैरों में सूजन हो जाती है। यह संक्रमण 2 या 3 हफ्ते में ठीक हो जाता है। लेकिन दुधारू मवेशी की दुग्ध उत्पादकता में कमी, गर्भपात, बांझपन और कभी-कभी जानवर की मौत भी हो सकती है। वेटरनरी विभाग ने एडवायजरी जारी की है जिसके अनुसार, मवेशियों की स्किन में गांठ या जख्म दिखते ही नजदीकी पशु चिकित्साल्य में संपर्क करने की बात कही है। इसके प्राथमिक लक्षण त्वचा पर चेचक, तेज बुखार और नाक बहना है।
लंपी पॉक्स के लक्षण दिखने पर स्वस्थ मवेशी को बीमार मवेशी से अलग रखें
नजदीकी पशु चिकित्स को दिखाएं
मक्खी मच्छरों को भगाने के लिए छिड़काव करे
मवेशियों के रखरखाव में साफ सफाई का ध्यान रखें
ग्रसीत मवेशी को पैरासिटामॉल और मल्टीविटामीन दें
उसके खान पान का खासा ध्यान रखें, तरल पदार्थ ज्यादा दें
उसके शरीर के जख्मों पर डॉक्टर की सलाह पर एंटीसैप्टिक लगाएं
मवेशी को बीमारी से बचाने के लिए एंटीबायोटिक्स, एंटी इंफ्लेमेटरी और एंटीहिस्टामिनिक दवाएं देनी चाहिए

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