आजादी से पूर्व वनवासियों जैसी जिंदगी गुजारने को मजबूर लोग

Update: 2022-06-29 13:29 GMT

छिंदवाड़ा। मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ (Former CM Kamal Nath) भले ही छिंदवाड़ा के विकास के लाख दावे करते हों. लेकिन हकीकत इसके उलट है. यहां के कई लोग आज भी मूल भूत सुविधाओं से अछूते हैं. शहर में नगर निगम बने हुए 7 साल बीत चुके हैं. एक बार पार्षद सहित महापौर ने भी गद्दी संभाल ली. लेकिन वार्ड नंबर 1 के निवासियों की जिंदगी में कोई बदलाव नहीं आया बल्कि खर्च और अधिक बढ़ गया है.

मूलभूत सुविधाओं का अभाव: शहर में रहकर वनवासियों की तरह जिंदगी जीने को मजबूर हैं. 2015 में नगर निगम बना ली गई और पहली बार भाजपा का महापौर निर्वाचित हुआ. नगर निगम बनाने के लिए 24 गांव शामिल किए गए. जिसमें काराबोह, बर्रा, खजरी को मिलाकर वार्ड नंबर एक का निर्माण किया गया. नगर निगम बनने के साथ ही लोगों को उम्मीद थी कि अब हालात सुधर जाएंगे. लेकिन वार्ड नंबर 1 के मटरूटोला (Chhindwara ward no 1 Matrutola) के रहने वाले लोगों के हालात तो नहीं सुधरे बल्कि खर्चा और बढ़ गया. नगर निगम के हिसाब से प्रॉपर्टी टैक्स जमा करना पड़ रहा है लेकिन ना तो चलने के लिए सड़क है, ना पीने के लिए पानी की व्यवस्था और ना ही जिंदगी गुजारने के लिए बिजली.

कांग्रेस पार्षद ने किये थे वादे: छिंदवाड़ा के वार्ड नंबर एक के हालातों का जायजा लेने जब ईटीवी भारत मौके पर पहुंचा तो देखा कि वाकई हालत बदतर हैं. वहां रहने वाले लोगों ने बताया कि 'सात साल पहले इस इलाके से कांग्रेस के पार्षद जीत कर आये थे. उन्होंने वार्ड के विकास को लेकर बड़े-बड़े वादे भी किए थे. लेकिन उसके बाद विकास तो दूर की बात पार्षद लौट कर ही नहीं आए'.

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