उज्जैन। रूस और यूक्रेन बुद्ध के बीच यूक्रेन में एमबीबीएस कर रहे भारत के छात्र अपनी पढ़ाई अधूरी छोड़कर यूक्रेन से भारत लौट आए थे। अब छात्रों के सामने नया संकट खड़ा हुआ है। दरअसल यूक्रेन की अलग-अलग यूनिवर्सिटी के छात्रों को 15 अगस्त तक फीस भरकर यूक्रेन लौटने या फिर पढ़ाई आगे जारी रखने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई करने के आदेश दिए गए हैं। अब छात्रों के सामने समस्या खड़ी हो गई है। युद्ध के बीच जान जोखिम में डालकर वे यूक्रेन से किस तरह जाए और अगर वहां ऑनलाइन पढ़ाई करते हैं तो उसकी एनएमसी से मान्यता भी नहीं है। ऐसे में छात्रों ने उच्च शिक्षा मंत्री सहित शिवराज सिंह चौहान और मोदी से गुहार लगाई है। करीब 5 महीने पहले शुरू हुए रूस और यूक्रेन को लेकर देशभर में हजारों मेडिकल की पढ़ाई कर रहे।
छात्र युद्ध के बादल के बीच यूक्रेन से भारत लौट आए थे। इनमें उज्जैन जिले के करीब 22 छात्र-छात्राएं थे जो इस दौरान बमुश्किल निकलकर देश में लौट पाए थे। अपने देश में सब कुशल लौटने के बाद अब विद्यार्थियों के सामने नया संकट खड़ा हो गया है। दरअसल, यूक्रेन की अलग-अलग यूनिवर्सिटी ने छात्रों को मेल किया है कि 15 अगस्त तक एमबीबीएस की पूरी फीस जमा कर या तो ऑनलाइन पढ़ाई करें या फिर यूक्रेन पहुंचे अब यह छात्र अपने भविष्य को लेकर चिंता में है। विद्यार्थियों का मानना है कि युद्ध के बीच यूक्रेन नहीं जा सकते और इधर ऑनलाइन पढ़ाई को नेशनल मेडिकल कमिशन मान्यता नहीं देता है। ऐसे में देश भर के विद्यार्थी अब अपने भविष्य को लेकर चिंता में हैं।
15 अगस्त तक फीस भरने का फरमान
छात्रों ने आरोप लगाया कि 5 महीने बीत जाने के बाद भी नेशनल मेडिकल कमीशन ने अब तक हजारों छात्रों के भविष्य को लेकर कोई निर्णय नहीं लिया है। छात्रों ने कहा कि हम फीस भरकर ऑनलाइन पढ़ाई करें तो क्या एनएमसी मान्यता देगा। विद्यार्थियों ने गुहार लगाई कि सरकार इस मामले में 15 अगस्त तक मेडिकल की पढ़ाई कर रहे विद्यार्थी के बारे में जल्द निर्णय ले विदेश मंत्रालय द्वारा लगातार आश्वासन दिया जा रहा है लेकिन अब तक कोई ठोस निर्णय नहीं पाया गया है। इसको लेकर छात्र उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव से मिले और सीएम शिवराज सिंह चौहान और मोदी से गुहार लगाकर बीच का रास्ता निकालने की मांग कर रहे।