4 बेटों के बुजुर्ग माता पिता दो वक्त की रोटी के लिए परेशान, नौकरों की तरह करवाते थे काम
चार संपन्न बेटों के बुजुर्ग माता पिता दो वक्त की रोटी के लिए परेशान थे. बेटे बहू उनसे नौकरों की तरह काम करवाते हैं.
चार संपन्न बेटों के बुजुर्ग माता पिता दो वक्त की रोटी के लिए परेशान थे. बेटे बहू उनसे नौकरों की तरह काम करवाते हैं. दो मंजिला मकान से नीचे से पानी भरवाने भेजते थे. काम न करने पर बेटे बहू अपने पिता को छेड़खानी के केस में फंसाने की धमकी देते थे. मामला कोर्ट में था. अब कोर्ट ने चारों बेटों को आदेश दिया है कि वो बुजुर्ग माता पिता की देखरेख करें और भरण पोषण के लिए पैसे दें.
ये रोंगटे खड़े कर देने वाला केस इंदौर का है. हीरा अगर में रहने वाले नागवंशी दम्पति अपने ही उन चार बेटों से परेशान हैं , जिन्हे उन्होंने बुढ़ापे की लाठी समझा था. बेटे सच में लाठी ही बन गए जो माता पिता पर बरस रहे थे. नागवंशी दंपति के चारों बेटे साधन संपन्न हैं. लेकिन उनमें से कोई भी माता पिता को सम्मान से नहीं रखता. माता पिता से घर में नौकरों की तरह काम करवाते थे. काम करने के बाद ही उन्हें खाना दिया जाता था. मनमाफिक काम न करने पर उन्हें वृद्धाश्रम भेजने की धमकी बेटा बहू देते थे. बुजुर्ग दंपति कई बार भंडारे में जाकर खाना खाते थे. कोर्ट ने चारों बेटों को आदेश दिया कि वो प्रति माह छह हजार रूपये भरण पोषण के लिए अपने माता पिता को दें.
छेड़छाड़ के केस में फंसाने की धमकी
अपने बच्चों के दुर्व्यवहार से तंग आकर नागवंशीं दंपति ने खुद ही कोर्ट की शरण ली थी. वह अपने बेटे और उनकी बहुओं से बेहद प्रताड़ित थे. बेटे बहु बुजुर्ग दम्पत्ति से घर का जबरिया काम करवाते थे,उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया जाता था, काम न करने पर घर से बाहर निकल जाने, अनाथ आश्रम में रहने और भंडारे में भोजन करने के लिए कहते थे. बुजुर्ग दम्पत्ति के वकील का दावा है कि बेटे अपने पिता को बहू से छेड़छाड़ के मामले में फंसाने की धमकी तक देते थे. बुजुर्ग दम्पति को जब परिवार का सहारा नहीं मिला तो उन्होंने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने अब अपने फैसले में प्रत्येक बेटे को 1500 कुल छह हजार रुपये भरण पोषण देने के निर्देश दिए हैं. ऐसा न करने पर गिरफ्तारी का भी प्रावधान है.
भंडारे में खाना खाते थे माता पिता
नागवंशी दम्पति बेहद बुजुर्ग हैं. उनका शरीर कतई इजाजत नहीं देता की वह अब मेहनत का काम करें. चारों बेटे बहू उन्हें बोझ समझते हैं. बुढ़ापे की हालत में उनसे दो मंजिल ऊपर तक पानी चढ़वाते हैं. ऐसा न करने पर वह घर से निकल जाने की धमकी देते हैं. दम्पति का दावा है कि कई बार उन्हें घर में खाना नहीं मिलता. आसपास मंदिर में होने वाले भण्डारो में जाकर अपना पेट भरना पढ़ता था. कई बार तो भूखा भी रहना पढ़ता था. लेकिन जुल्म की इंतहा तब हो गई जब उनका बेटा ही उन्हें छेड़छाड़ के केस में फंसा कर जेल भेजने की धमकी देने लगा.
कोर्ट ने कहा-बच्चे भरण पोषण करें
बुजुर्ग दंपति ने इसकी शिकायत पुलिस से भी की, लेकिन मामला पारिवारिक होने की वजह से कोई कार्रवाई नहीं हुई नतीजा सिफर ही रहा. इसके बाद अधिवक्ता के के कुन्हारे की मदद से उन्होंने कोर्ट की शरण ली. कोर्ट को वस्तु स्थिति से अवगत कराया. न्यायालय ने केस की स्टडी करने के बाद माना कि बच्चे साधन सम्पन्न हैं. लिहाजा उन्हें देखरेख करना चाहिए. अपने माता पिता को आर्थिक मदद करना चाहिए. न्यायालय ने चारों बच्चों को कुल छह हजार रुपये भरण पोषण के तौर पर देने के आदेश दिए हैं. न्यायालय ने बीते दो वर्षो से अब तक कुल दो लाख रुपये अपने माता पिता को देने के लिए कहा है.