भोपाल : शहर के पश्चिम क्षेत्र स्थित राम मंदिर पंचकुइया में 300 साल से अधिक पुरानी भगवान राम की बाल स्वरूप की मूर्ति है। मिली जानकारी के अनुसार ओरझा के बाद श्यामवर्ण के बाल स्वरूप का यह सबसे पुराना भगवान राम का मंदिर है।
भगवान के मनोहारी श्यामवर्ण स्वरूप की देखरेख यहां एक बालक की तरह होती है। यह देखरेख संत और पुजारियों द्वारा मिलकर की जाती है। हर वर्ष की तरह इस बार भी राम नवमी यहां हर्षोल्लास से मनाई जाएगी। इस अवसर पर राम रथ यात्रा निकाली जा रही है।
इस अवसर पर होने वाले जन्म आरती का स्वरूप अयोध्या के रामलला मंदिर की तर्ज पर रखा जाता है। पुजारियों के मुताबिक मध्यान्ह काल में भगवान की पूजा और आरती की जाती है। वहीं, सुबह मंगल आरती के बाद सूखे-मेवे मिष्ठान का भोग लगाया जाता है।
श्रृंगार आरती के बाद माखन-मिश्री का भोग लगाया जाता है। दोपहर 12 बजे राजभोग आरती होती है। शाम को 4 बजे भगवान के सोकर उठने पर उन्हें जल पिलाया जाता है फल का भोग अर्पित किया जाता है। शाम को शयन के समय दूध का भोग भी लगाया जाता है।
आश्रम में उपलब्ध शिलालेख के अनुसार मूर्ति की प्रदिष्ठा राम नवमी पर पुष्य नक्षत्र में हुई है। इस अवसर पर मंगलकारी संयोग बना था। मंदिर की स्थापना ठाकुरदास गुरु प्रहलाददास महाराज ने की थी। यहां राम की श्याम जबकि कृष्ण की गौरे वर्ण की मूर्ति है।
पीठाधीश्वर रामगोपालदास महाराज बताते है कि इस वर्ष राम नवमी पर रामलला रथ पर सवार होकर नगर भ्रमण पर निकलेंगे। उनके यात्रा मार्ग को भगवान ध्वजा से सजाया जाएगा। जन्मोत्सव में अयोध्या, चित्रकूट, वृंदावन के साधु-संतों का आगमन का क्रम जारी है।