बेंगलुरु। बेंगलुरु के एक अस्पताल में एक सर्जरी के दौरान 65 वर्षीय मरीज की आंख और नाक से 145 कीड़े निकाले गए। मरीज ने लगभग एक साल पहले म्यूकोर्मिकोसिस (ब्लैक फंगस) और कोविड -19 का इलाज कराया था। बेंगलुरु के राजराजेश्वरी नगर में एसएस स्पर्श अस्पताल के एक बयान के अनुसार मरीज की नाक से मृत ऊतक (dead tissue) को हटाने के लिए सर्जरी भी की गई थी। अस्पताल के बयान के अनुसार, "विशेष रूप से विस्तृत नाक गुहाएं स्राव के लिए अधिक प्रवण होती हैं जो क्रस्टिंग की ओर ले जाती हैं। यदि स्वच्छता बनाए रखने के लिए नाक की सफाई नहीं की जाती है, तो दुर्गंधयुक्त स्राव मक्खियों को अपनी ओर खींचता है जो नाक के भीतर अंडे देते हैं और अंततः ये मैगॉट्स (कीड़े) में बदल सकते हैं।" मरीज का इलाज करने वाले एसएस स्पर्श अस्पताल के ईएनटी सर्जन सलाहकार डॉ मंजूनाथ एमके ने इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए कहा, "अगर कीड़ों को नहीं हटाया जाता, तो वे मस्तिष्क तक पहुंच सकते थे और मस्तिष्क के टिश्यू को नुकसान पहुंचा सकते थें। आंख सीधे मस्तिष्क से जुड़ी होती है और अगर आंख इसमें शामिल होती है तो इससे संक्रमण हो सकता है – जो एक आपात स्थिति है।"
जर्नल ऑफ नेपाल मेडिकल एसोसिएशन के 2021 के शोध के अनुसार अन्य स्थानों के अलावा, नाक, कान, ट्रेकियोस्टोमी घाव, चेहरे, मसूड़ों और सीरस गुहाओं को संक्रमित करने के लिए मैगॉट्स पाए गए हैं। डॉक्टर मंजूनाथ ने बताया कि रोगी का तीन महीने पहले कहीं और इलाज किया गया था। लेकिन उसने एक बार फिर इसी तरह के लक्षणों के साथ-साथ उसकी एक आंख में सूजन की शिकायत की। मंजूनाथ ने बताया कि उसकी बाईं आंख पहले दिन से पूरी तरह से अंधी थी। डॉक्टर मंजूनाथ ने बताया, "मरीज को तीन दिनों से नाक से खून बहने और उसकी बाईं आंख पर सूजन की शिकायत थी। जांच के बाद डेड टिश्यू को हटाने के साथ-साथ पहले दिन उसकी नाक से लगभग 110 कीड़े निकाले गए। चूंकि आंख पूरी तरह से ब्लाइंड हो चुकी थी और दर्द का कारण बन रही थी इसलिए उसने इसे हटाने के लिए सहमति व्यक्त की। अगले दिन EYEBALL से लगभग 35 कीड़ों को हटा दिया गया। मरीज की हालत अब स्थिर है।"