जीने की उम्मीद हारी हुईं कई महिलाओं को मिली नई राह, स्टील डिजाइनिंग कंपनी मेकॉन की महिला समिति ने मेले का किया आयोजन

Update: 2022-07-24 09:15 GMT
रांची: कहते हैं देश का विकास तभी हो सकता है जब वहां की महिलाएं विकसित हो. इसी सिद्धांत के आधार पर देश का स्टील डिजाइनिंग कंपनी मेकॉन की महिला समिति (Steel designing company MECON women committee) की ओर से राजधानी रांची में मेले का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश भर की महिलाएं शामिल होती है और अपने हुनर से बनाए गए उत्पाद लोगों के बीच रखती हैं.
कई महिलाओं को मिली पहचान: इस मेले में अपना स्टॉल लगाने आई महिलाओं ने कहा कि मेकॉन की महिला समिति की ओर से लगाए गए मेले से उन्हें काफी लाभ होता है और उन्हें यहां बेहतर बाजार मिलता है. इस मेले में कपड़े, जूते, गहने, थैले और अन्य फैशनेबल आइटम पाए जाते हैं.इस मेले में झारखंड की कई ऐसी उद्यमी महिलाएं हैं जो खुद अपने हाथों से प्रोडक्ट बनाकर बाजार में लोगों को लुभाने का काम कर रही है. मेकॉन के द्वारा लगाए गए इस बाजार से महिलाओं को एक पहचान मिलती है. मेकॉन के सहयोग से देश विदेश में भी वह बेहतर व्यापार करती हैं.
ब्रेन ट्यूमर से पीड़ित महिला को मिली नई राह: ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित महिला विनीता मुंजरा बताती है कि वर्ष 2012 में वह ब्रेन ट्यूमर से ग्रसित हो गईं, जिसके बाद जीवन भर के सेविंग किए हुए लाखों रुपए इलाज में खर्च हो गए. हालात दिन प्रतिदिन बिगड़ते गए लेकिन उनके गिरते हालात को देख मेकॉन की महिला समिति के लोगों ने उन्हें सहारा दिया और मेले में स्टॉल लगवा कर उन्हें एक नई पहचान दी. विनीता मूंजरा बताती हैं कि मेकॉन में मेला लगाने के बाद उनके द्वारा बनाए गए पापड़, आंचार और अन्य खाद्य पदार्थों को बाजार में पहचान मिली, जिससे वह धीरे-धीरे अपने घर की आर्थिक स्थिति को सुधार रही हैं.
बाजार मुहैया करा रही है मेकॉन: रांची की रहने वाली युवती उज्जवला सहाय बताती हैं कि आज के तारीख में महिलाओं को सुरक्षित और बेहतर बाजार नहीं मिल पा रहा है, जिस वजह से महिलाएं अपने हुनर को नहीं निखार पा रही हैं. मेकॉन जैसी संस्था मेले के माध्यम से कई राज्यों की महिलाओं को एक बाजार मुहैया करा रही है जो कि निश्चित रूप से समाज में महिलाओं को सशक्त और स्वावलंबी बनाने की पहल है.
आदिवासी महिलाएं खींच रही अपने विकास की रेखा: झारखंड के जंगलों से निकलने वाले वनोत्पाद से सुंदर और खूबसूरत बैग बनाकर लोगों को आकर्षित कर रहीं शशि निर्मला तिर्की बताती हैं कि इंजीनियरिंग के क्षेत्र में जिस प्रकार से मेकॉन संस्था झारखंड का नाम देश में रोशन कर रही है, उसी प्रकार मेकॉन के द्वारा आयोजित इस मेला से झारखंड की गरीब आदिवासी महिलाएं अपने विकास की रेखा खींच रही हैं.
गुजरात से आईं महिलाएं, कहा मिल जाता है बेहतर रोजगार: वहीं गुजरात और राजस्थान से कपड़े बेचने पहुंचे व्यापारियों ने कहा कि 3 दिन के मेले में अच्छी कमाई हो जाती है. इसके अलावा जो ग्राहक इस मेले में बनते हैं. वह ऑर्डर करके भी सामान मंगवाते हैं, जिससे कहीं ना कहीं महिलाओं को आर्थिक लाभ के साथ-साथ बेहतर रोजगार भी मिलता है.
मेले का उद्देश्य: झारखंड और देश के विभिन्न राज्यों के महिलाओं को व्यापार के लिए बाजार दे रही मेकॉन महिला समिति की वरिष्ठ सदस्य बताती हैं कि यह मेला वर्षों से लगाया जा रहा है और उस मेला का मुख्य उद्देश्य यह है कि विनीता मुंजरा जैसी महिलाओं को बेहतर जीवन जीने का सहारा मिल सके और वह अपने आर्थिक स्थिति को सुधार कर शिक्षा, अच्छा भोजन और रहने के लिए बेहतर घर का इंतजाम कर सके.
क्या कहती हैं मेकॉन की मुख्य महाप्रबंधक: वहीं मेले को लेकर मेकॉन की मुख्य महाप्रबंधक आशा विश्वास बताती हैं कि इस मेले का उद्देश्य महिलाओं को समाज में ऊपर उठाना है. सिर्फ 3 दिन का मेला ही नहीं बल्कि आने वाले समय में भी महिलाओं के विकास के लिए मेकॉन संस्था अपने सीएसआर फंड का उपयोग कर उनके हुनर को निखारने का काम करती है. उन्होंने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का नाम लेते हुए कहा कि आज के तारीख में आदिवासी समाज की महिला देश की प्रथम नागरिक बन गई हैं. ऐसे में हम आम नागरिकों का यह फर्ज बनता है कि झारखंड, ओडिशा, बंगाल और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में गरीब आदिवासी महिलाओं के विकास के लिए काम करें. इसी को देखते हुए मेकॉन संस्था अपने सामाजिक दायित्व को निभाने का काम कर रही है और आगे भी ऐसे ही करती रहेगी.

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