किरीबुरु : मलेरिया पीड़ित मरीजों के लिए टाटा स्टील ने किया निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन
सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों के बीमार मरीजों की जिंदगी को बचाने के लिये वृहत तैयारी के साथ टाटा स्टील व टाटा स्टील फाउंडेशन उतर गई है
Kiriburu (Shailesh Singh) : सारंडा के सुदूरवर्ती गांवों के बीमार मरीजों की जिंदगी को बचाने के लिये वृहत तैयारी के साथ टाटा स्टील व टाटा स्टील फाउंडेशन उतर गई है. 21 जुलाई को टाटा स्टील के तत्वावधान में व टीएसएलपीएल के माइंस एजेंट राहुल किशोर, टाटा स्टील के सीएसआर हेड अनिल उरांव, टीएसएलपीएल के सीएसआर हेड एके सोनी के नेतृत्व में गंगदा पंचायत के दोदारी गांव स्थित पंचायत भवन में मेगा निःशुल्क चिकित्सा शिविर का आयोजन किया गया. इस शिविर में गंगदा पंचायत के दर्जनों गांव के लगभग 200 से अधिक मरीजों का इलाज किया गया. मरीजों में सबसे अधिक बच्चे, वृद्ध व महिलाओं को देखा गया.
टाटा स्टील की एम्बुलेंस से विभिन्न गांवों से मरीजों को लाया गया
टाटा स्टील के इस मेगा चिकित्सा शिविर में अपोलो अस्पताल कोलकता की डॉक्टर विभा, टाटा स्टील नोवामुंडी अस्पताल के बच्चा रोग विशेषज्ञ डॉ. तापस षाड़ंगी, टाटा स्टील फाउंडेशन के डॉ. मृणमय महतो को ग्रामीण मरीजों के इलाज के लिए विशेष तौर पर लाया गया है. इस दौरान अपोलो अस्पताल के फार्मासिस्ट अतर्क मुजासम, टीएसएफ के फार्मासिस्ट डम्बरुधर महन्तो, लैब तकनीशियन परितोष गोराई, जीएनएम छविरानी दास, दोदारी सीएचसी की एएनएम जगरानी, मुखिया राजू सांडिल, मोहन लाल चौबे आदि ग्रामीण व समाजसेवी ने उक्त चिकित्सकों का पूरा सहयोग किया. इस शिविर में मरीजों की भीड़ जिस प्रकार से उमड़ी है उसे देखकर यह कहना गलत नहीं होगा की सारंडा के सभी गांवों के हजारों लोग मलेरिया व मौसमी बीमारी से गंभीर रूप से ग्रसित हैं. टाटा स्टील की एम्बुलेंस व मोटरसाइकिल से ग्रामीण विभिन्न गांवों से मरीजों को लेकर उक्त शिविर में इलाज हेतु लेकर घंटों आते दिखें.
गरीब मरीज पैसे व यातायात सुविधा के अभाव में नहीं जा पा रहे हैं अस्पताल : डॉ.षाड़ंगी
बच्चा रोग विशेषज्ञ डॉ. तापस षाड़ंगी ने लगातार न्यूज से बातचीत में कहा कि यहां मलेरिया के काफी मरीज पाये जा रहे हैं. कुछ बच्चों में तो खून की कमी की समस्या भी पाई गई. तीन-चार बच्चों को अस्पताल में भर्ती कर इलाज की आवश्यकता है, जहां बेहतर रक्त जांच, एक्सरे आदि की जांच कर उनका बेहतर इलाज किया जा सके. उन्होंने कहा कि वह पहली बार इतनी दूर जंगल के गांवों में चिकित्सा शिविर में इलाज कर रहे हैं. यहां आने में डेढ़ घंटा लग गया. यहां के गंभीर व गरीब मरीज पैसे व यातायात सुविधा के अभाव में अपने इलाज के लिए अस्पताल नहीं जा पा रहे हैं, जो काफी पिड़ादायी है. दूसरी तरफ डॉ. मृणमय महतो ने कहा कि आज के शिविर में बच्चों व वृद्धों की संख्या अधिक है. दोनों उम्र वर्ग के लोग विभिन्न बीमारियों से अधिक ग्रसित हैं.