झारखंड में खरीफ की बुआई शुरू

देश के कई हिस्सों में मानसून की बारिश हो रही है। इस बीच झारखंड के किसान इस बात से चिंतित हैं

Update: 2022-07-08 09:31 GMT

देश के कई हिस्सों में मानसून की बारिश हो रही है। इस बीच झारखंड के किसान इस बात से चिंतित हैं कि अगर मानसूनी बारिश कम हुई बड़ी परेशानी खड़ी हो सकती है। वहीं झारखंड में धान और अन्य खरीफ फसलों के लिए बनी करीब 95 फीसदी कृषि योग्य भूमि 43 प्रतिशत मानसूनी बारिश की कमी के कारण बंजर पड़ी है।

किसान चिंतित हैं
किसान चिंतित हैं कि सीजन की मुख्य फसल धान की बुआई 18 लाख हेक्टेयर के लक्ष्य के मुकाबले महज 3.15 फीसदी है। केवल छह जिलों से कवरेज दर्ज की गई जहां सीधी बुवाई चल रही है। राज्य के कृषि विभाग के बुवाई कवरेज के आंकड़ों के अनुसार, 6 जुलाई तक किसी भी जिले में पौध प्रतिरोपण नहीं हुआ।
इसी तरह दालों का कवरेज 3.16 प्रतिशत और मोटे अनाज का 4.31 प्रतिशत रहा। वही मक्के के लिए 20.54 प्रतिशत और तिलहन के लिए 13.97 प्रतिशत पर थोड़ा बेहतर है। सरकारी अधिकारियों ने कहा कि राज्य में जल्द ही मानसून के फिर से शुरू होने की उम्मीद है और चिंता की कोई बात नहीं है।
बारिश कम रही तो सूखे जैसी स्थिति
रांची के चान्हो प्रखंड के एक किसान वीरेंद्र यादव ने बताया कि उनके तरंगा गांव के किसानों ने नर्सरी में धान की पौध उगाई है, लेकिन खेत में पानी की कमी के कारण रोपाई नहीं कर पाए। आगे कहा कि हमें इस सप्ताह अच्छी बारिश की उम्मीद है। एक अन्य किसान दीनानाथ भगत ने कहा कि अगर अगले 10-15 दिनों तक बारिश कम रही तो हमें सूखे जैसी स्थिति का सामना करना पड़ सकता है।
विशेषज्ञों ने कहा झारखंड में किसान आमतौर पर जून के मध्य से अपने खेतों को बुवाई के लिए तैयार करते हैं और बुवाई गतिविधि एत जुलाई से पूरी तरह से शुरू हो जाती है और 31 जुलाई तक चलती है। वहीं मानसून के शुरुआती महीनों में कम बारिश और देरी से होने के कारण पिछले कुछ वर्षों से किसान 15 अगस्त तक बुवाई कर रहे हैं।
वर्षा ऊपरी भूमि में बुवाई के लिए पर्याप्त है लेकिन मध्यम और निम्न भूमि बुवाई के लिए पर्याप्त नहीं है। रोपाई के लिए आदर्श मौसम 15 जुलाई है या अच्छी उपज के लिए यह 20 जुलाई तक जा सकता है
बिरसा कृषि विश्वविद्यालय (बीएयू) के कृषि संकाय के निदेशक अनुसंधान और डीन एसके पाल ने बताया कि आजकल, किसान 15 अगस्त तक बुवाई करते हैं, लेकिन उपज कम हो जाती है। इसलिए, यदि बारिश एक सप्ताह या उससे अधिक समय तक कम रही, तो यह चिंता का विषय होगा।


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