IAS रियाज अहमद को नहीं मिली जमानत
ग्रामीण विकास के क्षेत्र में इंटर्नशिप करने खूंटी पहुंची आईआईटी की छात्रा ने जिले के एसडीओ रियाज अहमद के खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट की एफआईआर दर्ज की
खूंटी: ग्रामीण विकास के क्षेत्र में इंटर्नशिप करने खूंटी पहुंची आईआईटी की छात्रा ने जिले के एसडीओ रियाज अहमद के खिलाफ सेक्सुअल हैरेसमेंट की एफआईआर दर्ज की. इस मामले में त्वरिक कार्रवाई करते हुए आईएएस अधिकारी को गिरफ्तार कर लिया है. इस के बाद उन्हों कोर्ट में पेश किया गया जहां से न्यायिक हिरासत मे जेल भेज दिया गया. इस मामले में बुधवार को आरोपी आईएएस अधिकारी सैयद रियाज अहमद की जमानत याचिका दाखिल की थी. मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी सत्यपाल की अदालत ने बुधवार को उनकी जमानत खारिज कर दी.
मंगलवार को आईआईटटियन इंटर्नशिप कर रही छात्रा की लिखित शिकायत के बाद खूंटी के महिला थाना में कांड संख्या 14/22 अंकित किया गया और 354 A(¡) (¡¡) और 509 आईपीसी के तहत मामला दर्ज किया गया. पीड़िता का 164 का बयान दर्ज कराने के बाद धारा 364 लगाते हुए खूंटी जेल भेज दिया गया. चूंकि प्राथमिकी में उससे पूर्व लगे 554A (1) (2) जमानतीय धाराएं थीं, जिसके कारण उसे खूंटी थाना से ही जमानत मिल सकती थी, लेकिन बाद में आईपीसी 354 के तहत प्राथमिकी में अलग से धारा जोड़कर मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया और उसे तत्काल जेल भेज दिया गया.
वहीं बुधवार को खूंटी व्यवहार न्यायालय में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी श्री सत्यपाल की अदालत में जमानत याचिका दायर की गई. जहां पक्ष विपक्ष के सुनने के बाद अदालत ने जमानत याचिका को खारिज कर दिया. आईएएस सैयद रियाज अहमद के हाइकोर्ट से आये वकील जसविंदर कौर मजूमदार और उनका बेटा रोहन मजूमदार ने बचाव करते हुए न्यायालय को बताया कि सैयद रियाज बेकसूर हैं और उन्हें साजिश के तहत फंसाया गया है. उन्होंने कहा प्राथमिकी में पहले जमानतीय धारा लगाए जाने और फिर गैर जमानतीय धाराएं लगाने पर भी सवाल उठाएं.
न्यायालय को आरोपी के वकील ने बताया कि जब रियाज को गिरफ्तार करना ही था तो उसे नोटिस भेजकर जवाब क्यों मांगा गया. जवाब देने के पूर्व ही उसे बगैर मौका दिए ही गिरफ्तार कर लिया गया. वहीं पीड़ित पक्ष के सरकारी वकील निशि कच्छप ने जमानत याचिका पर सवाल किया और कहा कि गैर-जमानतीय धारा हैं और आरोपी को जमानत नहीं दी जा सकती है. सरकारी वकील ने पीड़िता का बचाव करते हुए कहा कि घटना गंभीर है और पीड़िता के मान सम्मान का हनन होने की दलील दी. दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद न्यायालय ने जमानत याचिका खारिज कर दी.