बड़ा खुलासा, पीएफआई और एसडीपीआई ने रची थी रांची हिंसा की साजिश, इन जिलों में है सक्रिय

झारखंड में प्रतिबंधित संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसके राजनीतिक विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया की सक्रियता लगातार बढ़ी है।

Update: 2022-07-15 02:31 GMT

फाइल फोटो 

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। झारखंड में प्रतिबंधित संस्था पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) और उसके राजनीतिक विंग सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया (एसडीपीआई) की सक्रियता लगातार बढ़ी है। पिछले महीने रांची में 10 जून के दंगों की साजिश रचने में भी पीएफआई और एसडीपीआई की भूमिका सामने आयी है। खुफिया सूत्रों के मुताबिक 10 जून के घटनाक्रम को अंजाम देने के लिए फंडिंग भी पीएफआई व उसकी राजनीतिक विंग ने की थी।

राज्य में पीएफआई की बढ़ती गतिविधियों को लेकर केंद्र सरकार की खुफिया एजेंसी ने सरकार को रिपोर्ट भी भेजी है। इस रिपोर्ट के मुताबिक, बीते दिनों हुए पंचायत चुनाव में पीएफआई ने संगठन से जुड़े 48 लोगों को पंचायत चुनाव में जीत दिलवायी, साथ ही संदिग्ध गतिविधियों में जेल जाने वाले अपने बड़े नेता को जिला परिषद सदस्य का चुनाव भी जितवाया। गौरतलब है कि झारखंड में 19 फरवरी 2019 से पीएफआई प्रतिबंधित है। इसके बावजूद संताल परगना के कई जिलों में इसकी सक्रियता काफी बढ़ी है।
पहले केरल से आता था फंड, अब झारखंड बड़ा केंद्र
पीएफआई और टेरर फंडिग जैसे मामलों पर रिसर्च कर चुके विनय कुमार सिंह का दावा है कि झारखंड की पीएफआई यूनिट को पहले केरल से फंड आता था। लेकिन अब झारखंड से यूपी, बंगाल, बिहार व केरल को भी फंड किया जाता है। विनय कुमार सिंह ने दावा किया है कि संताल परगना में खनिज लूट में 25 प्रतिशत राशि पीएफआई तक पहुंच रही है। पाकुड़, दुमका, जामताड़ा, साहिबगंज के उदवा, पतना, बड़हरवा समेत कई इलाकों में पीएफआई को काफी फंडिंग मिली है। यही वजह है कि पीएफआई अब आर्थिक रूप से काफी मजबूत हो चुका है। प्रतिबंध के बावजूद पीएफआई अपने राजनीतिक विंग के तहत यहां काफी सक्रिय हुआ है।
पीएफआई ने की थी प्रतिबंध हटाने की मांग
झारखंड में प्रतिबंधित पीएफआई के महासचिव अनीस अहमद ने अप्रैल 2022 में मुख्य सचिव को पत्र लिखकर संगठन को प्रतिबंध मुक्त करने की मांग की थी। 22 फरवरी 2018 को राज्य की पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने पीएफआई पर प्रतिबंध लगाया था। तब पीएफआई ने हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। 28 अगस्त 2018 को हाईकोर्ट ने पीएफआई से प्रतिबंध हटा दिया था। दूसरी बार 12 फरवरी 2019 को गृह विभाग ने पीएफआई को प्रतिबंधित करते हुए अधिसूचना जारी की थी।
गृह विभाग की रिपोर्ट, पीएफआई पूरे राष्ट्र के लिए खतरा
इसमें जिक्र है कि पीएफआई झारखंड के साथ-साथ पूरे राष्ट्र के लिए खतरा है। यह संगठन केरल, असम, पश्चिम बंगाल, बिहार में भी हिंसा, भयादोहन, सांप्रदायिक उन्माद व भारत विरोधी एवं पाकिस्तान के समर्थन में सक्रिय रहता है। इसका आईएसआईएस व जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश नामक आतंकी समूहों से संबंध है। इसे नियंत्रित नहीं किया गया तो यह अपनी गैरकानूनी व विधि विरुद्ध गतिविधियों से विधि-व्यवस्था व लोक शांति के लिए खतरा उत्पन्न करेगा।
संगठन की गतिविधियां पाकुड़, साहिबगंज व जामताड़ा में संदिग्ध बताई गई थी। इन तीनों जिलों में संगठन ने अपने हजारों सदस्य बनाए हैं। संगठन पर देशविरोधी गतिविधियों में संलिप्त होने के कई बार आरोप लग चुके हैं। पीएफआई को प्रतिबंधित करने के लिए झारखंड के डीजीपी ने 22 दिसंबर 2017 को ही गृह विभाग के प्रधान सचिव को पत्र लिखकर अनुशंसा की थी। तब रिपोर्ट में बताया गया था कि इसके सदस्य आतंकी संगठन आईएसआईएस से प्रभावित हैं। इस संगठन के कुछ सदस्य गोपनीय तरीके से दक्षिण भारत के राज्यों से सीरिया भी जा चुके हैं और आइएस के लिए कार्य कर चुके हैं।
पीएफआई पर दर्ज कुछ प्रमुख मामले
16 जुलाई 2016 : साहिबगंज के रांगा के पतना चौक पर इस्लामिक धर्म प्रचारक डा. जाकिर नाईक के समर्थन में जुलूस निकाला। पाकिस्तान जिंदाबाद के नारे लगाये।
03 जनवरी 2016 : पश्चिम बंगाल के मालदा स्थित कालियाचक में थाने में तोड़फोड़ के बाद आग लगाई।
15 सितंबर 2016 : साहिबगंज जिले के बरहेट थाना क्षेत्र के भोगनाडीह में शहीद सिदो-कान्हू की प्रतिमा से तोड़फोड़।
2016 : कुर्बानी के लिए जामताड़ा में प्रतिबंधित मवेशी का वितरण किया।
05 जुलाई 2017 : पीएफआई के प्रदेश अध्यक्ष हेंजला शेख के नेतृत्व में 400 खास समुदाय के लोगों ने आक्रोश रैली निकाली। पाकुड़ नगर थाने के सामने बिना पूर्व सूचना के सड़क जाम किया। पुलिस बल से उलझे, पथराव किया। इसमें एसडीपीओ सहित कई चोटिल हुए। इस मामले में पीएफआइ के 43 समर्थक न्यायिक हिरासत में भेजे गए थे।
02 फरवरी 2018 : पश्चिम बंगाल के कालियाचक, फरक्का, मालदा आदि जिलों में गिरफ्तार आतंकियों का संबंध पीएफआई से मिला।
06 दिसंबर 2018 : दरभंगा के लहेरिया सराय में पीएफआई की राजनीतिक इकाई सोशल डेमोक्रेटिक पार्टी आफ इंडिया ने भारत विरोधी नारे लगाये।

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