'जनादेश' में औद्योगिक क्षेत्रों में बिजली बोर्ड अधिकारियों का उठा मुद्दा, प्रोमोशन के साथ ट्रांसफर भी होनी चाहिए
शिमला
औद्योगिक क्षेत्रों में तैनात बिजली बोर्ड के अधिकारियों के तबादले न होने पर सेवानिवृत्त कर्मचारी चिंतित हैं। औद्योगिक क्षेत्रों में तैनात कनिष्ठ अभियंता जेई से मुख्य अभियंता तक पदोन्नत हो जाते हैं, लेकिन उनका तबादला औद्योगिक क्षेत्रों से बाहर नहीं हो पाता है। बिजली बोर्ड को सबसे ज्यादा राजस्व औद्योगिक क्षेत्रों से ही हासिल हो रहा है, लेकिन यहां अधिकारियों में फेरबदल न होने की वजह से सही आंकड़े और कनेक्शन की जानकारी बोर्ड प्रबंधन तक नहीं पहुंच पाती है। बिजली बोर्ड प्रबंधन को इस दिशा में कदम उठाने होंगे। इसके साथ ही सेवानिवृत्त कर्मचारी पेंशन के समय पर भुगतान न होने को लेकर भी चिंतित हैं। हर बार बोर्ड को सबसिडी के लिए सरकार का मुंह ताकना पड़ता है। ऐसे में वित्तीय प्रबंधों को मजबूत करने की भी जरूरत है। 'दिव्य हिमाचल टीवी' के खास कार्यक्रम 'जनादेश' में बिजली बोर्ड से सेवानिवृत्त हुए कर्मचारियों ने अपनी राय रखी है और नई सरकार से उम्मीद भी जताई है कि आठ दिसंबर को नई सरकार के गठन के साथ ही जो पूर्व में प्रबंध रहे हैं, उनमें बदलाव होगा।
कोई कार्रवाई नहीं करता है बिजली बोर्ड प्रबंधन
सेवानिवृत्त कर्मचारी महासंघ के अध्यक्ष देवराज शर्मा ने कहा कि कोई भी सरकार आए, सभी बराबर हैं। वह समय-समय पर सेवानिवृत्त कर्मचारियों की समस्याओं के समाधान की मांग करते रहे हैं, लेकिन बोर्ड कुछ नहीं करता है। अराजकता का माहौल है। पूछने वाला कोई नहीं है। पहली बार बोर्ड के इतिहास में कर्मचारियों को वेतन मिलना चाहिए था। सबसिडी का 123 करोड़ बनता है, जो सरकार ने जारी कर दिया था, लेकिन कहां फंसा रहा, इस पर गौर नहीं किया। 300 करोड़ का लोन प्रबंधक वर्ग ने राशि नहीं ली।
कर्मियों की जायज मांगेें मान ले बिजली बोर्ड
पूर्व कर्मचारी मिर्जा निसार ने बताया कि जो समस्याएं आ रही हैं, उनका समाधान नहीं हो पा रहा है। बहुत से कर्मचारियों को उनके देय लाभ नहीं मिल पा रहे हैं। इसके साथ ही उनसे सौतेला व्यवहार किया जा रहा है। बार-बार कहने और मैनेजमेंट से कई बार आग्रह करने के बावजूद कर्मचारियों की समस्याओं का कोई स्थायी समाधान नहीं किया गया। बिजली बोर्ड में समस्याओं को युद्ध स्तर पर हल करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिजली बोर्ड से जितने भी कर्मचारी सेवानिवृत्त हुए हैं, वे परेशान हो रहे हैं। मांगें पूरी करने के लिए बोर्ड प्रबंधन व सरकार को एक महीने का समय दिया गया था, लेकिन वह कब का बीत चुका है। बिजली बोर्ड प्रबंधन को कर्मचारियों की जायज मांगों को माना जाना चाहिए। उम्मीद है कि प्रदेश में बनने वाली नई सरकार उनकी समस्याओं का समाधान करेगी।
औद्योगिक क्षेत्र से आ रहे गलत आंकड़े
सेवानिवृत्त कर्मचारी महासंघ के महासचिव होशियार सिंह ने कहा कि उनका संगठन गैर राजनीतिक है। सभी धर्म और विचारधारा के लोग जुड़े हैं। जो भी सरकारें आती हैं या जाती हैं, अधिकारी कुंडली मारकर बैठे रहते हैं। औद्योगिक क्षेत्र में कनिष्ठ अभियंता उसी जोन में पदोन्नत होता है। चीफ इंजीनियर तक पदोन्नति हासिल करता है। प्रदेश में 27-28 मुख्य अभियंता के पद हैं, लेकिन वे औद्योगिक क्षेत्र को नहीं छोड़ रहे हैं। सबसे बड़ी बात यह है कि औद्योगिक क्षेत्र से पैसा नहीं आ रहा है। बोर्ड प्रबंधन को झूठी फिगर दी जाती है।
अधिकारी मस्त, कर्मचारी त्रस्त
युसुफ अली ने कहा कि कर्मचारी बिजली की चोरी पकड़ते हैं, तो एक दिन में तीन लाख रुपए जुर्माना वसूला जाता है। मुख्यमंत्री भी कहते हैं कि बिजली चोरी करेंगे, तो जुर्माना भरना ही होगा। ऐसे में सरकार व बिजली बोर्ड को भ्रष्टाचार उन्मूलन अभियान चलाया जाना चाहिए। भ्रष्टाचार पर लगाम लगेगी, तो सभी समस्याओं का समाधान हो जाएगा। यदि हालात नहीं सुधरे, तो बिजली बोर्ड की हालत परिवहन निगम से भी बुरी हो जाएगी। वर्तमान में अधिकारी मस्त और कर्मचारी त्रस्त हैं। उन्होंने कहा कि कर्मचारियों का छठे वेतन आयोग का एरियर बनता है। कर्मचारियों को पहली जनवरी, 2016 के बाद पांच से 10 लाख रुपए मिलने हैं, इस बारे में भी बोर्ड प्रबंधन को नोटिस दिया गया है। सेवानिवृत्त कर्मचारियों का एकमात्र संगठन राज्य विद्युत सेवानिवृत्त कर्मचारी महासंघ है।