शिमला: हिमाचल प्रदेश हाई कोर्ट ने सरकारी ठेकेदार द्वारा समय पर काम न करने पर कड़ा रुख अपनाया है। कोर्ट ने ठेकेदार के लंबित बिलों को पास करने और देय राशि जारी करने पर फिलहाल रोक लगा दी है। न्यायाधीश तरलोक सिंह चौहान और न्यायाधीश सत्येन वैद्य की खंडपीठ ने ठेकेदार को अपना पक्ष न्यायालय के समक्ष रखने के आदेश जारी किए हैं। साथ ही कोर्ट ने ठेकेदार के पक्ष में पारित अंतरिम आदेशों को भी निरस्त कर दिया। मामले की सुनवाई 13 जुलाई को निर्धारित की गई है। यह मामला पूर्व भाजपा सरकार में मंत्री रहे महेंद्र सिंह ठाकुर के दामाद संजीव भंडारी का है। इन्हें पूर्व सरकार के दौरान ही कुछ सडक़ों के टेंडर अलॉट हुए थे। इनमें से कुछ टेंडर दोबारा से जारी कर दिए गए। रिटेंडरिंग प्रक्रिया के खिलाफ खुद संजीव कुमार भंडारी ही हाई कोर्ट गए थे। मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पाया कि ठेकेदार को मंडी जिला में दोसा-रा-थारू-पुतलीफाल्ड, लोअर ब्रह्मफाल्ड झारेड गलू, चनौता सडक़ निर्माण का काम मिला था, लेकिन अभी तक उसने अधिकांश कार्य शुरू नहीं किए गए और यदि शुरू किए, तो उन्हें पूरा नहीं किया।
चार सितंबर, 2021 को कार्यकारी अभियंता लोक निर्माण विभाग, धर्मपुर मंडल, जिला मंडी ने उपरोक्त कार्य के लिए दोबारा से निविदाएं आमंत्रित की। 24 सितंबर, 2021 को अदालत ने नई निविदाएं आमंत्रित करने वाले आदेशों पर रोक लगा दी थी। सुनवाई के दौरान अदालत को बताया गया कि याचिकाकर्ता ठेकेदार को 66 निर्माण कार्य के ठेके दिए गए हैं। इनमें से अधिकांश कार्य शुरू नहीं हुए हैं। यदि शुरू हुए हैं, तो पूरे नहीं हुए हैं। अदालत ने लोक निर्माण विभाग के प्रधान सचिव को आदेश दिए है कि वह उन दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करें, जिन्होंने ठेकेदार को पुराने कार्य पूरे न होने पर भी नए कार्य सौंपे। कोर्ट ने प्रधान सचिव लोकनिर्माण विभाग से ठेकेदार को दिए गए 66 ठेकों की जानकारी तलब की है।