बिलासपुर। लुहणू मेला मैदान में मंडी क्षेत्र की मंडलायुक्त राखिल काहलों ने सुख- संपदा और धन-धान्य के प्रतीक बैलों की जोड़ी की पूजा करके तथा मेला मैदान में खूंटा गाड़ कर 7 दिवसीय ऐतिहासिक एवं सांस्कृतिक नलवाड़ी मेले का विधिवत उद्घाटन किया। इससे पूर्व डीसी एवं मेला प्रबंध समिति के अध्यक्ष आबिद हुसैन सादिके ने उन्हें भाखड़ा निर्माण के कारण गोबिंद सागर में डूबे 13 शताब्दी पुराने बिलासपुर नगर के एक भाग का चित्र भेंट किया। इससे पूर्व राखिल काहलों के नेतृत्व में नगर के डियारा सैक्टर के लक्ष्मी नारायण मंदिर में प्राचीन नंदी बैल की पूजा-अर्चना करने के बाद बैंड-बाजों और ढोल-नगाड़ों व रणसिंगा ध्वनि के साथ बिलासपुर नगर से शोभा यात्रा निकाली। इसमें जिला भर से एकत्रित अधिकांश पंचायत प्रतिनिधियों, अधिकारियों व अन्य गण्यमान्य लोगों ने भाग लिया। मेला उद्घाटन के अवसर पर मुख्यातिथि राखिल काहलों ने कहा कि मेले और उत्सव वास्तव में हमारी पहाड़ी संस्कृति की विशिष्ट पहचान है जिनके माध्यम से जहां हमारी पुरानी विरासत व संस्कृति उजागर होती है। उन्होंने कहा कि इस अवसर पर उन्हें आने के लिए मुख्यमंत्री ने इसलिए आदेश दिए हैं क्योंकि आज हिमाचल विधान सभा में बजट प्रस्तुत करने के कारण मंत्री महोदय इसके उद्घाटन के लिए मुख्यातिथि के रूप में इस परंपरा को निभाने के लिए उपलब्ध नहीं हो पाए।
जिसे निभाने के लिए उन्हें यह सुअवसर दिया गया है। इस अवसर पर यद्यपि सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा कई सांस्कृतिक समूहों को पूरी तैयारी सहित बुलाया गया था लेकिन केवल एक ही ग्रुप लक्ष्मी लोक नृत्य दल को अपना नृत्य प्रस्तुत करने का अवसर मिल पाया जबकि अन्य दल निराश होकर लौटे। इस अवसर पर कांग्रेस पार्टी के राज्य महासचिव बंबर ठाकुर और पूर्व विधायक तिलक राज शर्मा, जिला यूथ कांग्रेस प्रधान आशीष ठाकुर, पूर्व जिला परिषद सदस्य राजेंद्र ठाकुर, जिला परिषद सदस्य गौरव शर्मा अन्य कितने ही कांग्रेस नेताओं सहित उपस्थित थे जबकि कांग्रेस पार्टी के वरिष्ठतम नेता एवं पूर्व मंत्री रामलाल ठाकुर, पूर्व विधायक बाबू राम गौतम और बीरु राम किशोर, विवेक और भाजपा से संबंधित कोई भी नेता इस अवसर पर उपस्थित नहीं थे। इससे पूर्व मुख्यातिथि ने सरकारी विभागों द्वारा अपनी विभिन्न उपलब्धियों के संदर्भ में लगाई गई विकास-प्रगति की प्रदर्शनी का उद्घाटन भी किया। आज मेले के प्रथम दिन कोई एक दर्जन दुकानें व हिंडोले आदि ही मेला मैदान में लग पाए थे जबकि कुछ दुकानदार अभी दुकानें लगाने में व्यस्त थे जिस कारण प्रथम दिन मेला मैदान लोगों को अपनी ओर आकर्षित नहीं कर पाया।