शिमला। हिमाचल प्रदेश में भारी वर्षा के कारण आई प्राकृतिक आपदा को लेकर राजभवन हरकत में आ गया है। राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ल ने इस मामले में मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह को 2 अलग-अलग पत्र लिखकर रिपोर्ट तलब की है। अपने पहले पत्र में राज्यपाल ने राज्य में नियमों के विपरीत हुए निर्माण कार्य तथा दूसरे पत्र में पहाड़ों एवं नदियों के किनारे हुए अवैध खनन को प्राकृतिक आपदा का एक संभावित कारण बताया है। उन्होंने मुख्यमंत्री से भविष्य में नियमों का सख्ती से पालन करने एवं अवैज्ञानिक तरीके से किए जाने वाले अवैध खनन पर रोक लगाने को कहा है। उन्होंने कहा कि सरकार बताए कि भवन निर्माण कार्य में नियमों का सख्ती से पालन करने एवं अवैध खनन रोकने के लिए भविष्य में वह क्या कदम उठाएगी? राज्यपाल ने दूसरे पत्र में हाल ही में हुए जानमाल के नुक्सान का एक संभावित कारण पहाड़ों व नदियों पर होने वाले अवैध खनन बताया है। उन्होंने कहा कि सरकार खनन के लिए लाइसैंस देती है, जिससे उसे राजस्व प्राप्त होता है।
उन्होंने कहा कि राज्य के सीमावर्ती क्षेत्रों बद्दी-बरोटीवाला-नालागढ़ व ऊना में अत्यधिक खनन भूस्खलन का कारण बने हैं। उन्होंने कहा कि कुछ लालची लोग थोड़े से मुनाफे के लिए ऐसा करते हैं, जिसकी कीमत सामान्य जनता और सरकार दोनों को चुकानी पड़ती है। उन्होंने कहा कि भविष्य में इस तरह की गतिविधियों को रोकने के लिए सरकार की क्या योजना है? इसी तरह राज्य में खनन के कितने लाइसैंसधारक हैं और अब तक अवैध खनन के मामलों में सरकार की तरफ से नियमानुसार की गई कार्रवाई के संदर्भ में जवाब मांगा है। राज्यपाल ने अपने पहले पत्र में लिखा है कि हाल ही में हुई अतिवृष्टि से जानमाल को भारी नुक्सान पहुंचने का एक संभावित कारण पहाड़ों व नदियों के किनारे नियमों को दरकिनार करके भवन निर्माण कार्य करना है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार भवन निर्माण की अनुमति नियमों के अनुसार देती है लेकिन कुछ लोग इसका पालन नहीं करते। ऐसे में भविष्य में अनियोजित तरीके से भवन निर्माण न हो, इसके लिए सरकार को सख्त कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कई भवनों का निर्माण 70 व 80 डिग्री की ढलानों पर करने को भी खतरनाक बताया है। इसके अलावा निर्माण स्थल का भूमि परीक्षण नहीं करवाने पर भी आपत्ति जताई है। उन्होंने इसके लिए विभाग को उचित दिशा-निर्देश देने को कहा है।