पचाले, स्वाद और खनिजों से भरपूर एक पहाड़ी व्यंजन

Update: 2023-08-29 13:50 GMT
हिमाचल |  सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र में बरसात के मौसम में हरी मक्की का पचैला बनाने की परंपरा पुराने समय से चली आ रही है, जो बदलते परिवेश में भी जारी है। हरे मक्के से बनने वाला पचाले एक पहाड़ी व्यंजन है जो न सिर्फ स्वादिष्ट होता है बल्कि कई खनिजों से भी भरपूर होता है. हरा मक्का अक्सर भुट्टे के रूप में बड़े शौक से खाया जाता है और अगर इसके साथ अखरोट मिला दिया जाए तो इसका स्वाद दोगुना हो जाता है. पचैला के बारे में जानकारी देते हुए जाजर गांव की रीता तोमर ने बताया कि पचैला तैयार करने के लिए हरे मक्के को छीलकर ग्राइंडर मशीन में पीसकर पेस्ट बनाया जाता है, जबकि पहले मक्के को बंद जाली पर हाथ से पीसकर पेस्ट तैयार किया जाता था. पचेला आमतौर पर दो तरह का बनता है यानी मीठा और नमकीन. मीठी पचैल में गुड़ या चीनी के अलावा मीठी सौंफ, धनिया आदि का मिश्रण मिलाया जाता है, जबकि नमकीन पचैल में आवश्यकतानुसार नमक और अन्य मसाले मिलाये जाते हैं.
पचैला अक्सर घी या दही के साथ बड़े स्वाद से खाया जाता है. पूर्व प्रधान कुशल तोमर ने बताया कि पहले जब अनाज की कमी होती थी तो उनके बुजुर्ग खेतों से हरा मक्का तोड़ लेते थे और पचैला या दाना बनाकर परिवार को खिलाते थे। इसके अलावा लोग कच्चे मक्के को उबालकर और पीसकर सत्तू भी बनाते हैं, जिसे खासकर गर्मी के मौसम में खेत में काम करते समय लस्सी के साथ खाया जाता है. सर्दियों के दौरान पहाड़ों में हर घर में मक्के की रोटी का इस्तेमाल किया जाता है, क्योंकि मक्के में कार्बोहाइड्रेट और आयरन प्रचुर मात्रा में पाया जाता है और मक्के की रोटी की तासीर भी गर्म होती है। चूल्हे में लकड़ी की आग पर बनी मक्की की रोटी का स्वाद अनोखा होता है. मक्के की रोटी को सरसों के साग या अरबी की सब्जी के साथ खाने का मजा ही कुछ अलग है. बदलते परिवेश में ग्रामीण क्षेत्रों में नकदी फसलों के कारण मक्के का उत्पादन कम हुआ है, लेकिन विशेषकर ग्रामीण जीवन में मक्के का महत्व कम नहीं हुआ है। आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. विश्वबंधु जोशी के मुताबिक मक्के में भरपूर मात्रा में फाइबर मौजूद होता है. जिसके सेवन से शरीर में कोलेस्ट्रॉल का स्तर सामान्य होने के साथ-साथ हृदय संबंधी बीमारियों से भी बचाव होता है। प्राचीन काल से ही ग्रामीण क्षेत्रों में मक्के का उपयोग विभिन्न तरीकों से बड़ी मात्रा में किया जाता रहा है, लेकिन वर्तमान परिप्रेक्ष्य में मक्के की रोटी और साग लोगों की अच्छी पसंद बन गया है।
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