एनएचएआई ने सीएम सुखविंदर सुक्खू के सामने रखा पक्ष, धूल फांक रहीं फोरलेन की फाइलें
शिमला
फोरेस्ट क्लीयरेंस और भूमि अधिग्रहण में देरी ने हिमाचल के सात बड़े फोरलेन प्रोजेक्ट फंसा दिए हैं। सात हजार करोड़ के इन प्रोजेक्ट की फाइलें पर्यावरण और वन विभाग से राजस्व अधिकारियों के कार्यालय में धूल फांक रही हैं। इसका खुलासा मुख्यमंत्री के साथ हुई एनएचएआई की समीक्षा में हुआ है। प्रदेश में इस समय पांच नेशनल हाई-वे को फोरलेन में बदला जा रहा है, लेकिन इन हाई-वे के सात पैच में भूमि अधिग्रहण और एफसीए बड़ी अड़चन बन गए हैं। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने नेशनल हाई-वे में देरी पर एनएचएआई से सवाल किए और इन सवालों के जवाब में एनएचएआई ने राज्य सरकार के सामने प्रोजेक्ट में देरी की वजह का खुलासा किया है। गौरतलब है कि पूर्व में राज्य और केंद्र की मंजूरी के बाद प्रोजेक्ट की फाइल अंतिम स्वीकृति के लिए सुप्रीम कोर्ट भेजी जाती थी, लेकिन पिछले साल जून महीने में सुप्रीम कोर्ट ने एनएचएआई की एक याचिका पर फैसला देते हुए एफसीए की प्राथमिक मंजूरी को ही मान्यता देने का फैसला किया है।
इसके बाद यह संभावना जताई जा रही थी कि नेशनल हाई-वे के फोरलेन में बदल रहे मार्गों के निर्माण में तेजी आएगी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। जो सात नेशनल हाई-वे फिलहाल फंसे हुए हैं, एनएचएआई ने इनके शुरू होने का समय जनवरी तय किया था और आगामी तीन साल में इन्हें पूरा कर लिया जाना था, लेकिन बीते डेढ़ महीने से फाइलें राजस्व विभाग और एफसीए क्लीयरेंस के लिए फंसी हुई हैं। ऐसे में एनएचएआई ने भूमि अधिग्रहण और एफसीए के मामले जल्द निपटाने का आह्वान राज्य सरकार से किया है। मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू से मुलाकात के बाद एनएचएआई ने इन मामलों को जल्द ही निपटाने की बात कही है। प्रदेश में इस समय कीरतपुर-मनाली, शिमला-मटौर, पिंजौर-नालागढ़ सहित पठानकोट-मंडी नेशनल हाई-वे का काम चल रहा है। इनमें से शिमला-मटौर में हमीरपुर बाइपास सहित तीन पैच, पठानकोट-मंडी में दो पैच और शिमला बाइपास के दो पैच की मंजूरी नहीं मिल पाई है। इस पर मुख्यमंत्री ने डीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनाने का फैसला किया है और इस कमेटी के बाद राजस्व से जुड़े मामलों में तेजी आने की संभावना फिलहाल बनी हुई है, जबकि अन्य मामले वन और पर्यावरण विभाग के माध्यम से ही हल होने हैं। (एचडीएम)
अधिकारी कहते हैं
एनएचएआई के परियोजना अधिकारी अब्दुल बासित ने बताया कि मुख्यमंत्री से मुलाकात सौहार्दपूर्ण माहौल में पूरी हुई है। इस मुलाकात में फोरलेन प्रोजेक्ट में देरी पर खुलकर चर्चा की गई है। मुख्यमंत्री प्रदेश के विकास में रफ्तार लाने के लिए इन कामों को जल्द शुरू करना चाहते हैं। जो भी कारण देरी के हैं, उनकी बात मुख्यमंत्री के सामने रखी गई है। उन्होंने डीसी की अध्यक्षता में कमेटी बनाने का निर्णय लिया है।
21 फरवरी सेे उम्मीद
एनएचएआई को फोरेस्ट क्लीयरेंस पर बड़ी उम्मीद अब 21 फरवरी को है। इस दिन वन और पर्यावरण विभाग की बैठक होने वाली है। बैठक में प्रदेश के दूसरे बड़े प्रोजेक्ट के साथ ही नेशनल हाई-वे के सात प्रोजेक्ट की फाइल भी चर्चा में आएगी। इन फाइलों पर मुहर लगती है तो निर्माण कार्य तेजी से शुरू हो सकेगा। गौरतलब है कि जनवरी में हुई बैठक में नेशनल हाईवे की फाइलों को वापस लौटा दिया गया था।