बागवानी विभाग ने किया प्रयोग, हिमाचल में सेब के बगीचे में पहली बार ड्रोन से दवा का छिड़काव

Update: 2022-08-07 10:21 GMT

न्यूज़क्रेडिट: अमरउजाला

सेब के बगीचे में पहली बार शनिवार को ड्रोन से दवा का छिड़काव किया गया।बागवानी विभाग के अधिकारियों और स्थानीय बागवानों की मौजूदगी में यह छिड़काव किया गया।

हिमाचल प्रदेश बागवानी विभाग के जुब्बल तहसील के अणु स्थित सेब के बगीचे में पहली बार शनिवार को ड्रोन से दवा का छिड़काव किया गया। बागवानी विभाग के अधिकारियों और स्थानीय बागवानों की मौजूदगी में यह छिड़काव किया गया। आईटी विभाग के मैनेजर नरेंद्र कुमार ने बताया कि इस तकनीक का इस्तेमाल कर जहां पानी की बचत की जा सकती है, वहीं परंपरागत छिड़काव के मुकाबले इसमें दवा भी कम इस्तेमाल होती है। बगीचों में दवाओं के छिड़काव के लिए ड्रोन तकनीक को बागवानों ने पसंद किया है। बागवानी विकास अधिकारी डॉ. कुशाल सिंह मेहता ने बताया कि बगीचों में तरल खाद या कीटनाशकों का छिड़काव करने के लिए इस्तेमाल होने वाले 20 लीटर क्षमता वाले ड्रोन से 10 बीघा के बगीचे में 10 मिनट के भीतर छिड़काव किया जा सकता है।

इतने ही क्षेत्र में परंपरागत तरीके से दवा का छिड़काव करने में तीन दिन लगते हैं। भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना के तहत बागवानी में आधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल को बढ़ावा दिया जा रहा है। सेब की सघन खेती और नर्सरी के अलावा सब्जी, टमाटर और फूलों की खेती में भी ड्रोन से दवाओं के छिड़काव की यह तकनीक कारगर साबित हो सकती है। हालांकि बागवानों ने सेब की खेती के लिए इसे अनुकूल बनाने के लिए कुछ सुझाव भी दिए हैं। ड्रोन के लिए ऐसी गन (नोजल) की मांग की गई है, जिससे दवा का छिड़काव पौधे के निचले पत्तों तक हो सके। इसके अलावा ड्रोन में बैटरी के स्थान पर पेट्रोल के इस्तेमाल की संभावना तलाशने का भी आग्रह किया गया है।



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