शिमला। कश्मीर भारत में केसर की खेती का ‘निॢववाद नेता’ है, लेकिन हिमाचल प्रदेश ने भी इस दिशा में कदम उठाने शुरू कर दिए हैं। केसर की खेती हाल ही में हिमाचल के जिले किन्नौर, चम्बा, मंडी, कुल्लू और कांगड़ा जिलों में शुरू हुई है। चम्बा जिले के भरमौर गांव के 40 वर्षीय किसान धीरज कुमार गांव कनैक्शन को बताते हैं कि मैं कई वर्षों से जड़ी-बूटी उगा रहा हूं और जब मुझे पता चला कि केसर की खेती का प्रशिक्षण दिया जा रहा है तो मैंने कार्यक्रम में दाखिला ले लिया। उन्होंने अपने एक बीघा (0.25 हैक्टेयर) खेत में केसर की खेती की है। उन्होंने कहा कि मैं इस बार सिर्फ 10 ग्राम केसर का उत्पादन कर सका, लेकिन मुझे भविष्य में अपनी उपज में सुधार की उम्मीद है। लुप्त होता स्वाद : कश्मीर में केसर का उत्पादन घटने के कारण किसान सेब, बादाम, अखरोट और सब्जियों की ओर रुख कर रहे हैं। हाल ही में हिमाचल प्रदेश में सी.एस.आई.आर.-इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टैक्नोलॉजी (आई.एच.बी.टी.) द्वारा पालमपुर में केसर की खेती का प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। राज्य के कई किसानों ने अपनी नियमित फसल की जगह केसर का प्रयोग किया है।
इस प्रोजैक्ट के लिए इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन बायोरिसोर्स टैक्नोलॉजी ने राज्य के कृषि विभाग के साथ हाथ मिलाया है। किन्नौर जिले के मेबार गांव के परमेश्वर सिंह गांव कनैक्शन को बताते हैं कि मैं कई सालों से ऑर्गैनिक बीन्स, मटर, सेब और अखरोट की खेती कर रहा हूं लेकिन अब 57 वर्ष का होने पर प्रशिक्षण कार्यशाला में भाग लेने के बाद केसर उगाने में हाथ आजमाने का फैसला किया। हमने सबसे पहले अपने खेत में केसर लगाया था, जो लगभग 5 हजार फुट (समुद्र तल से 1,500 मीटर ऊपर) है लेकिन इस बार हम थोड़ा ऊपर गए हैं और 8 हजार फुट (लगभग 2,400 मसल) पर केसर लगाया है। परमेश्वर ने कहा कि उन्हें उम्मीद है कि इससे अच्छी पैदावार होगी। इस प्रोजैक्ट के लिए इंस्टीच्यूट ऑफ हिमालयन बॉयोरिसोर्स टैक्नोलॉजी ने राज्य के कृषि विभाग के साथ हाथ मिलाया है।
वर्तमान में हमारे देश में केसर का उत्पादन केवल कश्मीर में होता है। हिमाचल प्रदेश के कई क्षेत्रों में पर्यावरण कश्मीर के समान है और केसर उगाने के लिए अनुकूल है, आईएचबीटी के वरिष्ठ प्रधान वैज्ञानिक और परियोजना समन्वयक राकेश कुमार ने गांव कनैक्शन को बताया कि हम इस पहल पर एक साल से अधिक समय से काम कर रहे हैं और हम न केवल किसानों को प्रशिक्षण दे रहे हैं बल्कि बीज भी दे रहे हैं। केसर उगाने की पहल के तहत संस्थान ने अब तक लगभग 70 किसानों को प्रशिक्षित किया है। राकेश कुमार ने कहा कि हमने कृषि विकास अधिकारियों, कृषि विस्तार अधिकारियों और हिमाचल प्रदेश कृषि विभाग के उप निदेशकों को भी प्रशिक्षण दिया है, जो किसानों के साथ बातचीत करते हैं और बीज वितरित करने के लिए किसानों का चयन करते हैं। आई.एच.बी.टी. से केसर के बीज, राज्य के कृषि विभाग के माध्यम से किन्नौर, चंबा, कुल्लू, मंडी और कांगड़ा जिलों में प्रशिक्षण प्राप्त करने वाले किसानों को वितरित किए गए थे। राकेश कुमार ने कहा कि प्रायोगिक परियोजना के रूप में, हिमाचल के अलग-अलग हिस्सों में 2.5 एकड़ (एक हैक्टेयर से थोड़ा अधिक) भूमि पर केसर के बीज लगाए गए थे।