हिमाचल की टीम ने भांग की खेती को लेकर उत्तराखंड में ली तकनीकी व कानूनी पहलुओं की जानकारी
शिमला। औद्योगिक और गैर-मादक उपयोग के लिए भांग की खेती शुरू करने को लेकर प्रदेश सरकार की ओर से गठित समिति ने रविवार को दौरे के दूसरे दिन उत्तराखंड के डोईवाला में भांग की खेती करने वाली फर्म से इसके तकनीकी और कानूनी पहलुओं के बारे में जानकारी हासिल की। इस दौरान समिति के सदस्यों ने प्रति हैक्टेयर भूमि पर उत्पादन और लागत, भांग के उत्पादों का विपणन और अन्य जानकारी भी प्राप्त की, साथ ही समिति के सदस्यों ने सरकार और आम लोगों को होने वाले लाभ के बारे में चर्चा की। इसके लिए कानूनी प्रावधानों पर विचार-विमर्श किया गया। भांग की खेती शुरू करने के लिए सरकार को होने वाली आय और किसानों को दी जाने वाली सुविधाओं के बारे में भी विचार-विमर्श किया गया। इस दौरान समिति ने फर्म के खेतों में जाकर भांग की खेती की व्यवहारिकता को जाना।
समिति के अध्यक्ष राजस्व, बागवानी और जनजातीय विकास मामले मंत्री जगत सिंह नेगी की अध्यक्षता में मुख्य संसदीय सचिव सुंदर सिंह ठाकुर, सदस्य विधायक और अधिकारी इस दौरे में शामिल हुए। इससे पूर्व प्रात: दल ने उत्तराखंड के वन एवं उच्च शिक्षा मंत्री सुबोध उनियाल से भी भेंट कर उनसे विस्तृत चर्चा की। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने कहा कि भांग की खेती की पैदावार कम सिंचाई वाले क्षेत्रों में आसानी से हो सकती है। इसके अलावा जंगली जानवरों का भी फसल के लिए कोई खतरा नहीं होता। औद्योगिक प्रयोग और औषधीय उत्पादन के लिए भांग की गुणवत्तापूर्ण खेती सुनिश्चित करने के प्रयास सरकार की ओर से किए जाएंगे। जगत सिंह नेगी ने कहा कि सरकार प्रदेश में भांग की खेती को वैध करने की दिशा में अग्रसर है। इसके तमाम पहलुओं पर विचार किया जा रहा है। जल्द ही समिति प्रदेश में भांग की खेती को लेकर अपनी रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।