विपक्ष के विरोध के बीच हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान अधिनियम निरस्त

Update: 2023-04-04 09:12 GMT
शिमला। हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान कानून को रद्द करने संबंधी सरकार द्वारा लाए गए विधेयक को सदन में सोमवार को विपक्ष के भारी विरोध के बीच ध्वनिमत से पारित कर दिया। इस कानून को निरस्त करने के विरोध में विपक्ष ने पहले सदन में जोरदार हंगामा किया और बाद में पूरा विपक्ष विरोध स्वरूप सदन से उठकर बाहर चला गया। हिमाचल प्रदेश लोकतंत्र प्रहरी सम्मान कानून को रद्द करने संबंधी विधेयक मुख्यमंत्री द्वारा प्राधिकृत संसदीय कार्य मंत्री हर्षवर्धन चौहान ने सदन में पेश किया। इस विधेयक पर हुई चर्चा के जवाब में हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान के नाम पर सरकारी धन का दुरुपयोग किया है। इस सम्मान राशि के नाम पर पूर्व भाजपा सरकार ने अपने चहेतों को लाभ पहुंचाया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार ने जो गलत किया है, हम उसे जारी रखने के लिए बाध्य नहीं हैं। इसलिए हमारी सरकार ने इस कानून को निरस्त करने का फैसला किया है।
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि आपातकाल में किसी को भी सजा स्वरूप जेल नहीं भेजा गया, बल्कि उन्हें एहतियात के लिए जेल में रखा गया। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी सम्मान के नाम पर 3.43 करोड़ रुपए से अधिक की राशि खर्च कर डाली। उन्होंने यह भी पूछा कि आपातकाल के बाद प्रदेश में शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल की सरकार दो-दो बार सत्ता में रही, तब उन्हें लोकतंत्र प्रहरियों का ध्यान क्यों नहीं आया। उन्होंने विपक्ष पर इस योजना को लेकर राजनीतिक रंग देने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा कि जब सरकार की लोकप्रियता गिरती है, तो इस तरह के मुद्दे उठाए जाते है ताकि लोगों को ध्यान आकर्षित किया जा सके। इसके साथ सरकार ने देर शाम इस बिल को लेकर अधिसूचना भी जारी कर दी है।
हर्षवर्धन चौहान ने कहा कि इस योजना में ऐसे लोगों को शामिल कर दिया गया, जो एक पैंशन नहीं बल्कि 2 से 3 पैंशन ले रहे हैं। उन्होंने कहा कि कई करोड़पति लोगों को भी योजना का लाभ मिल रहा है। बाहरी राज्य से जुड़े लोगों के साथ जिन लोगों पर सीआरपीसी की धाराओं के तहत केस दर्ज हुए थे, उन्हें भी इसमें शामिल किया गया। उन्होंने कहा कि प्रदेश की वित्तीय स्थिति को देखते हुए प्रहरियों को पैंशन नहीं दे सकते।
इससे पूर्व लोकतंत्र प्रहरी कानून को निरस्त करने के लिए लाए गए विधेयक पर हुई चर्चा में हिस्सा लेते हुए नेता प्रतिपक्ष जयराम ठाकुर ने कहा कि अगर सरकार लोकतांत्रिक व्यवस्था में विश्वास रखती है तो इस कानून काे यथावत रखे। उन्होंने कहा कि जब एमरजैंसी लगी थी तो उस समय लोकतंत्र को बचाने के लिए अलग-अलग विचाराधाओं के लोगों ने विरोध किया और उन्हें बिना वजह जेल में डाला गया, यातनाएं दी गईं। उन्होंने कहा कि जिन लोगों ने उस समय यातनाएं सही, उनको सम्मान देने के लिए अन्य राज्यों ने भी कदम उठाए और प्रदेश में लोकतंत्र प्रहरी सम्मान अधिनियम लाया गया। उन्होंने कहा कि सत्तापक्ष लोकतंत्र का मजबूत करने के पक्ष में या नहीं, ये बताया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि पूर्व सरकार ने लोकतंत्र प्रहरी योजना शुरु की थी और कानून के तहत एक्ट लाकर विधानसभ में पारित किया था।
लोक निर्माण मंत्री विक्रमादित्य सिंह ने कहा कि यह कानून लाकर पूर्व भाजपा सरकार ने लोकतंत्र की हत्या की थी। उन्होंने कहा कि इस तरह का सम्मान केवल स्वतंत्रता सेनानियों को मिलना चाहिए, बाकी किसी को नहीं। उन्होंने जो लोग कई सालों तक अग्रेजों की हकूमत के खिलाफ लड़े, उनकी तुलना इनके साथ नहीं की जानी चाहिए।
विधाायक सतपाल सिंह सत्ती ने कहा कि उनकी पार्टी की सरकार सत्ता में आने पर लोकतंत्र प्रहरियों को दी जाने वाली राशि को दोगुना करेगी और उन्हें ब्याज सहित पिछली राशि का भी भुगतान करेगी। उन्होंने कहा कि तथ्यों को तोड़मोड़ कर पेश नहीं किया जाना चाहिए। जब एमरजैंसी लगी थी तो प्रैस पर भी दवाब बनाया गया था। उस समय पंजाब केसरी जो लीडिंग अखबार है, उसकी बिजली तक काट दी गई थी। उन्होंने कहा कि देश हित में जो बोलना होगा,वे बोलगें। उन्होंने कहा कि यदि आरएसएस न होता तो आप लोगों को रवैया और पहनावा अलग होता।
भाजपा विधायक रणधीर शर्मा ने कहा कि सरकार का धंधा ही बंद करने का हो गया है। कांग्रेस सदस्य संजय रत्न ने विधेयक को निरस्त करने का समर्थन किया। भाजपा के विधायक विपिन सिंह परमार ने आरोप लगाया कि कांग्रेस का लोकतंत्र में विश्वास ही नहीं है। उन्होंने कहा कि एमरजैंसी का काला अध्याय किसी से छुपा नहीं है। उन्होंने कहा कि भाजपा लोकतंत्र प्रहरियों के साथ खड़ी है। बागवानी मंत्री जगत सिंह नेगी ने आरएसएस को देश के लिए अभिशाप बताया। उन्होंने कहा कि केंद्र में मोदी सरकार ने अघोषित आपातकाल लगा रखा है। उन्होंने कहा कि जिन्होंने लोकतंत्र की हत्या के प्रयास किए, उन्हें ही लोकतंत्र प्रहरी बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऐसी व्यवस्था को बदलना होगा।
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