शिमला। शिमला में हुआ ब्लास्ट असल में गैस रिसाव के कारण हुआ है। एलपीजी के एक स्थान पर एकत्रित हो जाने और रैफ्रीजरेटर के ऑटो कट होने से हुए स्पार्क के कारण इसे चिंगारी मिली, जिससे एक जगह पर एकत्रित हुई एलपीजी में ब्लास्ट हुआ, जिससे जोरदार धमाका हुआ। शिमला शहर के मिडल बाजार में स्थित रैस्टोरैंट हिमाचल रसोई में 18 जुलाई को यह ब्लास्ट हुआ है। यहां पर कमर्शियल 2 सिलैंडर पाए गए थे, जिसमें एक पूरी तरह से खाली और दूसरा आधा भरा हुआ था। चूंकि किचन छोटा था और कमरा बंद था और इसमें गैस एक जगह पर एकत्रित हो गई, जिससे हुए धमाके से ऊपर और बाहर की ओर धमाके के कारण विस्फोट हुआ है। इस ब्लास्ट के बाद फोरैंसिक टीम के अलावा नैशनल सिक्योरिटी गार्ड (एनएसजी) की 20 सदस्यीय टीम ने भी यहां डॉग स्क्वायड की मदद से साक्ष्य जुटाए हैं।
इस ब्लास्ट के बाद लोगों द्वारा कई प्रकार के कयास लगाए जा रहे थे और इसे अलग-अलग तरीकों से देखा जा रहा था। पुलिस की कार्यशैली पर भी सवाल उठाए जा रहे थे। यहां पर बारीकी से जांच करने के बावजूद भी कोई संदिग्ध सामग्री न तो पुलिस को मिली और न ही मौके पर पहुंची एफएसएल टीम को। आतंकी हमले और विस्फोटक होने की थ्योरी पर भी गहनता से काम किया गया लेकिन किसी भी प्रकार का कोई साक्ष्य नहीं मिला है। एसपी शिमला संजीव गांधी ने बताया कि फोरैंसिक टीम ने साक्ष्य जुटाए थे और गहन जांच के बाद अपनी रिपोर्ट पुलिस को दी है, जिसमें इस बात का खुलासा हुआ है।