शिमला। राज्य के कर्मचारियों को नया वेतनमान देने एवं कोविड-19 के कारण खराब हुई अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए वित्त आयोग एवं केंद्र सरकार ने बीते 3 वित्तीय वर्ष में कर्ज लेने की सीमा को बढ़ाया है। वैसे प्रदेश सरकार सामान्यत: जीएसडीपी के 3 फीसदी तक कर्ज ले सकती है लेकिन प्रतिकूल हालात को देखते हुए वित्तायोग एवं केंद्र सरकार ने राज्य को वर्ष 2020-21 में 5 फीसदी, वर्ष 2021-22 में 4.5 फीसदी और वर्ष 2022-23 में 4 फीसदी तक कर्ज लेने की छूट दी है। वैसे केंद्र से राज्य को वर्ष 2021-22 और वर्ष 2022-23 के दौरान अनुदान के रूप में 25524 करोड़ रुपए और ऋण के रूप (बाह्या सहायता/दीर्घकालीन ऋण) में 912 करोड़ रुपए और केंद्रीय करों से 35454 करोड़ रुपए मिले हैं।
सरकार पर 64904 करोड़ रुपए का कर्ज
वर्ष 2021-22 के अनुमान के अनुसार राज्य की जीएसडीपी 175173 करोड़ रुपए है। इस तरह सरकार को जीएसडीपी का 3 फीसदी कर्ज लेने की अनुमति रहती है लेकिन बीते 3 साल में प्रतिकूल हालात को ध्यान में रखते हुए इसमें रियायत दी गई है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने इस बार विधानसभा के मानसून सत्र के दौरान जानकारी दी कि हिमाचल प्रदेश सरकार पर इस समय 64904 करोड़ रुपए का कर्ज है। इससे पहले सरकार पर 31 मार्च, 2022 तक 63735 करोड़ रुपए कर्ज था।
अधिक कर्ज लेने पर कैग ने सरकार को किया आगाह
हिमाचल प्रदेश विधानसभा मानसून सत्र के अंतिम दिन नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने अधिक कर्ज लेने के लिए सरकार को आगाह किया। कैग का कहना था कि मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार को वर्ष, 2025-26 में ऋण व ब्याज चुकाने पर ही 6416 करोड़ रुपए व्यय करने होंगे, जो सुखद स्थिति नहीं है। इसी तरह सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों का घाटा 4074 करोड़ रुपए तक पहुंचना चिंता की बात है। उल्लेखनीय है कि अधिक कर्ज में छूट के लिए प्रदेश सरकार ने मानसून सत्र के दौरान राजकोषीय उत्तरदायित्व एवं बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) संशोधन विधेयक को मंजूरी प्रदान की। इस संशोधन को मंजूरी मिलने के बाद राज्य सरकार तय सीमा से अधिक कर्ज ले सकेगी।