इस बार त्रिकोणीय मुकाबला

Update: 2022-10-26 10:30 GMT
हमीरपुर
पांच विधानसभा क्षेत्रों में 4,07,578 मतदाताओं वाले हमीरपुर जिला से इस बार कांग्रेस-भाजपा सहित विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और आजाद उम्मीदवारों को मिलाकर 37 प्रत्याशियों ने विधानसभा चुनावों के लिए अपनी ताल ठोकी है। हालांकि हर बार मुकाबला मुख्य रूप से कांग्रेस और भाजपा के बीच में रहता है लेकिन इस बार हर हलके में किसी न किसी रूप में तीसरा एंगल भी देखने को मिल रहा है। इस ट्राइएंगल ने एक तरफ जहां चुनावी मुकाबले को रोचक बनाया है वहीं, दोनों ही पार्टियों के लिए खतरे की घंटी भी बजा दी है। जिलावार बात करें तो हमीरपुर सदर सीट से दस प्रत्याशियों ने नामांकन पत्र दाखिल किया है, लेकिन मुकाबले की बात करें तो मुख्य मुकाबला बीजेपी के सीटिंग विधायक नरेंद्र ठाकुर, कांग्रेस के डाक्टर पुष्पेंद्र वर्मा और बतौर आजाद प्रत्याशी चुनाव लड़ रहे आशीष शर्मा के मध्य है। सब जानते हैं कि कांग्रेस यहां 15 वर्षों से लगातार हार रही है और सीट बीजेपी के कब्जे में है। इस बार कांग्रेस ने यहां नया एक्सपेरिमेंट करते हुए युवा चेहरे के रूप में डा. पुष्पेंद्र वर्मा को नामांकन के आखिरी दिन मैदान में उतारा।
उधर, तीसरी ओर आजादी प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे आशीष शर्मा मुकाबले को रोचक बनाते हुए दिख रहे हैं। उसकी एक वजह तो यह है कि चार दिन पहले उन्होंंने कांग्रेस ज्वाइन की थी और इस सीट से कांग्रेस उन्हें टिकट देने वाली थी, लेकिन जब बात न बनी तो वे दोबारा आजाद मैदान में डट गए। वे तीन साल से यहां सक्रिय हैं और आमजन के करीब भी मानें जाते हैं। वे भाजपा गोसेवा आयोग के सदस्य भी रहे। बीजेपी के अलावा कांग्रेस में भी उनका इंडायरेक्ट वोट माना जा रहा है। इंडायरेक्ट इसलिए क्योंकि उनके ससुर जिला कांग्रेस के वर्तमान अध्यक्ष हैं और उन्होंने ही उन्हें पिछले दिनों कांग्रेस ज्वाइन करवाई थी। ऐसे में दोनों ही पार्टियों से कुछ न कुछ वोट उनकी ओर जाएंगे इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। बात नादौन विधानसभा क्षेत्र की करें तो यहां से हर बार की तरह कांग्रेस चुनाव प्रचार कमेटी के अध्यक्ष व पूर्व प्रदेशाध्यक्ष कांग्रेस सुखविंद्र सिंह सुक्खू और बीजेपी से एचआरटीसी के उपाध्यक्ष रहे विजय अग्निहोत्री चुनाव मैदान में हैं। यहां वैसे तो कुल सात लोगों ने नामांकन भरा है लेकिन आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी शैंकी ठकुराल ने मुकाबले को रोचक बनाया है। नादौन चौधरी कम्युनिटी बहुल इलाका माना जाता है।
शैंकी ठुकराल इसी समुदाय से आते हैं और उनकी अच्छी खासी पकड़ भी है। कांग्रेस-बीजेपी से नाराज चल रहे लोग भी उनके साथ जा सकते हैं। सुजानपुर विधानसभा की बात करें तो यहां से भी सात प्रत्याशियों के नामांकन पत्र दाखिल हुए हैं। पूर्व मुख्यमंत्री प्रो. धूमल के चुनाव से हटने के बाद सीटिंग विधायक राजेंद्र राणा यहां अपनी जीत सुनिश्चित लेकर चल रहे थे। बीजेपी प्रत्याशी कैप्टन रंजीत सिंह को वे हल्के मेें ले रहे हैं। लेकिन कैप्टन के साथ खड़े प्रो. धूमल और दो बार के मुख्यमंत्री का फुली स्पोट होने के कारण अब यहां मुकाबला और भी रोचक होगा। मौजूदा बनते समीकरण देख नहीं लग रहा कि सुजानपुर अपनी गलती दोहराएगा। प्रो. धूमल के साथ लोग भावनात्मक रूप से भी जुड़े हैं। बड़सर विधानसभा क्षेत्र से भी सात प्रत्याशी मैदान में हैं, लेकिन असली मुकाबला कांग्रेस प्रत्याशी सीटिंग विधायक इंद्रदत्त लखनपाल, बीजेपी प्रत्याशी माया शर्मा और अब आजाद संजीव शर्मा के बीच होता दिख रहा है। माया शर्मा लगातार दो बार चुनाव हारे पूर्व विधायक की धर्मपत्नी हैं। संजीव शर्मा की बात करें तो वे कामगार कल्याण बोर्ड के अध्यक्ष रहे स्वर्गीय राकेश बबली के भाई हैं। राकेश बबली को इस बार बड़सर से भाजपा का सशक्त उम्मीदवार माना जा रहा था लेकिन कुछ माह पूर्व अकस्मात हुए उनके निधन के बाद तस्वीर बिलकुल बदल गई। हालांकि लोगों को यकीन था कि उनके ही परिवार से उनकी धर्मपत्नी या फिर उनके भाई संजीव शर्मा को पार्टी टिकट देगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
माया शर्मा को टिकट मिलने के बाद काफी विरोध भी हुआ। यही वजह रही कि संजीव शर्मा ने आजाद नामांकन दाखिल किया। वे बड़सर के सबसे बड़े क्षेत्र ढटवाल से आते हैं जहां को हमेशा प्रतिनिधित्व देने की मांग उठती रही है। ऐसे में इस बार यहां भी मुकाबल रोचक होता दिख रहा है। बात भोरंज की करें तो यहां से कांग्रेस ने लगातार तीन बार चुनाव हारे सुरेश कुमार को टिकट दिया है जो कि सुक्खू के करीबी माने जाते हैं। प्रदेश कांग्रेस के प्रवक्ता प्रेम कौशल भी यहां से टिकट के दावेदार थे उनकी गिनती वीरभद्र समर्थकों में होती है। वे चुनाव तो नहीं लड़ रहे लेकिन कहीं न कहीं अंदर खाते उनको किनारे करने का नुकसान भी होगा। उधर, बीजेपी ने सीटिंग विधायक और भाजपा सरकार में उपसचेतक रही कमलेश कुमारी का टिकट काटकर पूर्व शिक्षा मंत्री के बेटे डा. अनिल धीमान को मैदान में उतारा है। अंदरखाते कलह तो शुरू हो चुकी है लेकिन अभी सामने नहीं आ रही। यहां भी आजाद प्रत्याशी और जिला परिषद सदस्य पवन कुमार त्रिकोणीय मुकाबले में नजर आ रहे हैं। वे भी भोरंज का पुराना चेहरा हैं और लोगों के साथ उनकी काफी कनेक्टिविटी भी है।
(एचडीएम)
बड़सर, भोरंज में बगावत की चिंगारी
लगभग 81 हजार मतदाताओं वाले भोरंज और 85 हजार से अधिक वोटरों वाले बड़सर विधानसभा क्षेत्र में बगावत की चिंगारी सुलग चुकी है क्योंकि इन दोनों ही जगहों पर बीजेपी के टिकट वितरण में फेरबदल हुआ है। भोरंज में तो विधायक का ही टिकट कट गया है। बड़सर में भाजपा प्रवक्ता विनोद ठाकुर और ग्रामीण विकास बैंक के चेयरमैन कमलनयन भी टिकट की रेस में थे। ये अलग बात है कि वे अभी खामोश हैं लेकिन सवाल यह है कि क्या उनके समर्थक मतदान के वक्त भी खामोश रहेंगे।

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