18 साल पहले के 12 करोड़ अब बन गए 400 करोड़, होटल वाइल्ड फ्लावर हॉल पर 400 करोड़ रुपए का क्लेम
शिमला
मशोबरा में देवदार के घने जंगलों के बीच स्थित फाइव स्टार प्रॉपर्टी वाइल्ड फ्लावर हॉल पर राज्य सरकार 400 करोड़ का क्लेम करने जा रही है। यह राशि 18 साल पहले के 12 करोड़ पर चक्रवृद्धि ब्याज के कारण बनी है। हालांकि अंदेशा यह है कि इसी धनराशि के कारण आर्बिट्रेशन के बाद सेटल हुआ यह मामला दोबारा से लीगल लड़ाई में जा सकता है। सुखविंदर सिंह सुक्खू की कैबिनेट ने 19 जून सोमवार को हुई बैठक में यह फैसला लिया है कि 2005 में आए आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को राज्य सरकार लागू करना चाहती है। इस अवार्ड के खिलाफ वाइल्ड फ्लावर हॉल को चला रही कंपनी ईस्ट इंडिया होटल्स हाई कोर्ट गई थी और वहां से केस हारने के बाद पिछले साल ही राज्य सरकार से आग्रह किया था कि वहां आर्बिट्रेशन अवॉर्ड को लागू किया जाए। बीच में चुनाव आने के कारण पूर्व जयराम सरकार इस पर फैसला नहीं ले पाई थी। वर्तमान सरकार ने आर्बिट्रेशन क्लॉज को लागू करने का फैसला लिया है, जो राज्य सरकार के हक में है।
आर्बिट्रेटर में हिमाचल सरकार और ईस्ट इंडिया होटल्स कंपनी के बीच हुई सेल डीड को रद्द करने का फैसला दिया था। साथ ही अगले 40 साल के लिए यह जमीन इसी कंपनी को लीज पर देने के आदेश हैं। यह जमीन 100 हेक्टेयर से ज्यादा है। इसके बदले 2005 में ही 12 करोड़ हिमाचल सरकार को देने के आदेश हुए थे। आर्बिट्रेशन ऑर्डर कहता है कि वाइल्ड फ्लावर हॉल में बनाए गए अनाधिकृत 57 कमरे पीसीपी रेगुलर करेगा, जिसके लिए 2005 में पांच लाख कंपाउंडिंग फीस बताई गई थी। इन कमरों को रेगुलर करने के बाद टूरिज्म इन्हें रजिस्टर करेगा, पर अभी तक न तो कंपाउंडिंग हुई है, न रजिस्ट्रेशन। ये कमरे अवैध रूप से चल रहे हैं। (एचडीएम)
हिमाचल सरकार की इक्विटी को कम कर दिया
वाइल्ड फ्लावर हॉल का निर्माण 1902 में अंग्रेजी शासनकाल के दौरान हुआ था। उसके बाद टूरिज्म ने इसे चलाया और 1993 में यहां अग्निकांड हुआ। इसके बाद राज्य सरकार ने ग्लोबल टेंडर के जरिए इसे ईस्ट इंडिया होटल्स कंपनी को चलाने के लिए दिया। इसके लिए मशोबरा रिजॉट्र्स लिमिटेड और हिमाचल सरकार के साथ ज्वाइंट वेंचर बनाया गया, लेकिन राज्य सरकार का आरोप है कि मशोबरा रिजॉट्र्स लिमिटेड ने हिमाचल सरकार की इक्विटी को कम कर दिया। अब बोर्ड में मुख्य सचिव चेयरमैन हैं, जबकि टूरिज्म और वित्त विभाग के सेक्रेटरी मेंबर हैं। चार मेंबर कंपनी के होने के कारण बैठक में जिस एजेंडे को सरकार नकार देती है, वह भी पास हो जाता है।