हरियाणा के पानीपत जिले के इसराना के गांव सींक में तिरखु तीर्थ पर पहुंचे मेघालय के राज्यपाल ने सरकार पर निशाना साधा। वह बोले कि पहले किसानों को बर्बाद किया अब जवानों के साथ मजाक हो रहा है। उन्होंने अग्निपथ योजना का विरोध भी किया।
मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि आज देश का पेट भरने वाला किसान और रक्षा करने वाला जवान दोनों दुखी हैं। केंद्र सरकार ने पहले किसानों को बर्बाद किया और अब अग्निपथ योजना लाकर देश के जवानों के साथ मजाक किया जा रहा है। वे रविवार को हरियाणा के पानीपत जिले के गांव सींक के तिरखु तीर्थ परिसर में आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे।गांव सींक, पाथरी, ऐचरा कलां, रामनगर और कुरड़ के लोगों ने तिरखु तीर्थ पर राज्यपाल सत्यपाल मलिक के लिए सम्मान समारोह का आयोजन किया था। यहां लोगों को संबोधित करते हुए राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि किसान आधी लड़ाई लड़ चुके हैं, लेकिन आधी अभी बाकी है। जब तक एमएसपी गारंटी कानून नहीं बनेगा, तब तक किसानों की आय वृद्धि के दावे छलावे ही रहेंगे।
उन्होंने कहा कि कारगिल युद्ध में 19 गोलियां लगने से घायल हुए परमवीर चक्र विजेता योगेंद्र यादव ने भी कहा है कि चार वर्ष के लिए जवानों को भर्ती करना गलत है। जवान चार वर्ष में छह महीने छुट्टी पर रहेगा और चार वर्ष बाद उसे घर वापस भेज दिया जाएगा। इतने समय में वह कुछ नहीं कर सकेगा। उन्होंने कहा कि चौधरी चरण सिंह ने उन्हें एक ही बात सिखाई है कि हिम्मत नहीं हारना। आज मैं उसी रास्ते पर चल रहा हूं। समारोह की अध्यक्षता दलबीर सिंह मलिक ने की।
प्रधानमंत्री से मिला था, उन्होंने कहा था कि किसान खुद चले जाएंगे : मलिक
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि वह किसान आंदोलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिले थे। उनसे कृषि कानून वापस लेने की मांग की थी। तब उन्होंने कहा था कि किसान खुद ही चले जाएंगे। तब मैने प्रधानमंत्री से कहा था कि ये भारत के किसान हैं, पीछे नहीं हटेंगे। सरकार को ही पीछे हटना होगा।
पीएम के दोस्त हैं अडाणी, इसलिए एमएसपी लागू नहीं : मलिक
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि देश में प्रधानमंत्री के दोस्त अडाणी हैं। वह सस्ता गेहूं लेकर महंगा बेचेंगे। इसके लिए पानीपत में भी गोदाम बनाया है, इसलिए प्रधानमंत्री एमएसपी कानून लागू नहीं करना चाहते हैं।
मेरी मेहनत से कश्मीर से हटी धारा-370
राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कहा कि जम्मू कश्मीर का राज्यपाल होने के दौरान धारा-370 हटवाने के लिए प्रधानमंत्री से आग्रह किया था। तत्कालीन मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती, पूर्व मुख्यमंत्री फारूख अब्दुल्ला आदि ने इसका विरोध किया था। इसके बावजूद मैं अडिग रहा, जिसके परिणाम स्वरूप यह संभव हो सका।