आरबीआई ने अपनी एक रिपोर्ट जारी की थी, 'स्टेट फाइनेंस- ए रिस्क एनालिसिस'. इस रिपोर्ट में आरबीआई ने विस्तार से बताया है कि किस कदर 'फ्री कल्चर' ने राज्यों की आर्थिक व्यवस्था को प्रभावित किया है. कुछ दिनों पहले ही पंजाब सरकार ने प्रत्येक परिवार को 300 यूनिट फ्री बिजली देने की घोषणा की. वह हर वयस्क महिला को एक-एक हजार रुपये देने की शुरुआत कर रहे हैं. एक साधारण अनुमान है कि राज्य को सिर्फ इन दोनों मद में ही 17 हजार करोड़ रुपये खर्च करने होंगे. इस वित्तीय वर्ष में पंजाब पर कर्ज बढ़कर तीन लाख करोड़ रुपये होने का अनुमान है. आरबीआई ने इस स्थिति को 'भयावह' बताया है.सेंट्रल बैंक ने अपनी इस रिपोर्ट में बताया है कि पंजाब, बिहार, राजस्थान, केरल और प. बंगाल की आर्थिक स्थिति लगातार बिगड़ रही है. रिपोर्ट ने 10 राज्यों की स्थिति को अलार्मिंग बताया गया है. बैंक के अनुसार उन्हें अपनी आर्थिक स्थिति बेहतर करनी होगी, अन्यथा आने वाले समय में स्थिति और भी बदतर हो सकती है. ये राज्य हैं - राजस्थान, केरल, प. बंगाल, पंजाब, बिहार, आंध्र प्रदेश, झारखंड, मध्य प्रदेश, यूपी और हरियाणा. इन राज्यों का नाम 'स्टेट जीडीपी' में कर्ज की भागीदारी के आधार पर लिया गया है. हालांकि, कुछ राज्यों को लेकर आरबीआई ने सकारात्मक टिप्पणी भी की है. इसके अनुसार गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, कर्नाटक और ओडिशा में अगले चार सालों में कर्ज की स्थिति थोड़ी बेहतर हो सकती है. यानी उनके कर्ज कम हो सकते हैं.आरबीआई ने खराब होती अर्थव्यवस्था के कारणों में सब्सिडी को प्रमुख वजह बताया है. इसके अनुसार राज्य सरकारों ने 2020-21 में सब्सिडी पर कुल खर्च का 11.2 फीसदी खर्च किया था, लेकिन अगले साल यानी 2021-22 में यह खर्च बढ़कर 12.9 फीसदी तक चला गया. सब्सिडी पर सबसे अधिक किन राज्यों ने खर्च किया है, रिपोर्ट के अनुसार झारखंड, ओडिशा, तेलंगाना और यूपी में सबसे अधिक सब्सिडी पर राशि खर्च की गई है. गुजरात, पंजाब और छत्तीसगढ़ का नंबर इनके बाद आता है.आरबीआई की रिपोर्ट के मुताबिक अगर कर्ज पर लगाम नहीं लगाया गया, तो कुछ राज्यों की स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो सकती है. इसमें बताया गया है कि सबसे ज्यादा खराब स्थिति पंजाब की हो सकती है. यह रिपोर्ट बताती है कि अगले चार सालों में यानी 2026-27 तक पंजाब पर अपनी जीएसडीपी (ग्रॉस स्टेट डोमेस्टिक प्रोडक्ट) का 46.8 फीसदी कर्ज हो जाएगा. इसी तरह से राजस्थान पर 39.4 फीसदी, केरल पर 38.2 फीसदी, प. बंगाल पर 37 फीसदी, आंध्र प्रदेश पर 33.9 फीसदी, उत्तराखंड पर 32.2 फीसदी, बिहार पर 31.2 फीसदी, हरियाणा पर 31 फीसदी और झारखंड पर 30.2 फीसदी कर्ज होने का अनुमान है. पिछले वित्तीय वर्ष (अप्रैल-2020 से मार्च - 2021) के आंकड़ों पर गौर करेंगे, तो पाएंगे कि सबसे ज्यादा कर्ज तमिलनाडु पर है. उस पर 6.59 लाख करोड़ का कर्ज है. उत्तर प्रदेश पर 6.53 लाख करोड़ का ऋण है.इसी तरह से अगर आप इसे आमदनी और खर्च के रूप में देखेंगे, तो इसमें साफ-साफ नजर आएगा कि सरकारें कितना खर्च कर रहीं हैं. आंध्र प्रदेश की आमदनी 1,91,262 करोड़ है, जबकि यह 2,39,986 करोड़ रुपया खर्च कर रहा है. यानी आंध्र प्रदेश करीब-करीब 49 हजार करोड़ रुपये अधिक खर्च कर रहा है. पंजाब की आमदनी 96,078 करोड़ है, जबकि खर्च 1,19,913 करोड़ है. इसी प्रकार से राजस्थान की आमदनी 2,15,256 करोड़ है, जबकि खर्च 2,73,468 करोड़ है. तेलंगाना की आमदनी 1,93,089 करोड़ है, जबकि खर्च 2,45,257 करोड़ है. यूपी की आमदनी 5,01,778 करोड़ है, जबकि खर्च 5,82,956 करोड़ है. प.बंगाल का खर्च 2,60,629 करोड़ है, जबकि आमदनी 1,98,232 करोड़ है. गुजरात की आमदनी 1,82,295 करोड़ है, जबकि खर्च 2,18,408 करोड़ है. दिल्ली की आमदनी 61,891 करोड़ है, जबकि खर्च 71,085 करोड़ है.यहां यह भी जानना जरूरी है कि एफआरबीएम कानून क्या है. सरकार ने इसमें बदलाव की जरूरत को महसूस करने के बाद एन.के.सिंह समिति का गठन किया था. इस समिति ने अपनी सिफारिशों में केन्द्र और राज्यों की वित्तीय जवाबदेही के लिए कुछ मानक भी तय किए थे. इस समिति ने सरकार के कर्ज के लिए जीडीपी के 60 फीसदी की सीमा तय की है. यानी केंद्र सरकार का डेब्ट टू जीडीपी रेश्यो 40 फीसदी और राज्य सरकारों का टोटल कर्ज 20 फीसदी तक ही रखने की सिफारिश की गई. अब अगर आरबीआई की रिपोर्ट में राज्यों के कर्ज की स्थिति देखें तो कर्ज के मामले में टॉप पांच राज्यों का कर्ज रेश्यो 35 फीसदी से भी ऊपर है.आरबीआई ने अपनी रिपोर्ट में राजस्व घाटा (फिस्कल डेफिसिट) को लेकर भी चिंता जताई है. फिस्कल डेफिसिट मामले में बिहार, राजस्थान, पंजाब, यूपी, केरल, एमपी, तेलंगाना, तमिलनाडु और छत्तीसगढ़ का नाम है. इसका मतलब हुआ कि ये राज्य अपने सरकारी कामकाज पर आमदनी के मुकाबले अधिक खर्च कर रहे हैं. आरबीआई की रिपोर्ट में कर्ज पर ब्याज भुगतान को लेकर राज्यों को अलर्ट किया गया है. बिहार, केरल, राजस्थान, पंजाब और प.बंगाल को विशेष तौर पर इस पैमाने पर अलर्ट किया गया है.रिपोर्ट ने साफ तौर पर कहा है कि सबसे ज्यादा फ्रीबी- आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा दिया जा रहा है. उसके बाद झारखंड, मध्य प्रदेश, पंजाब और प.बंगाल का नंबर आता है. बिजली कंपनियों को भुगतान नहीं किया जा रहा है. और इसमें तमिलनाडु, मध्य प्रदेश, राजस्थान, पंजाब और झारखंड को विशेष तौर पर चिन्हित किया गया है.मीडिया रिपोर्ट में केरल के वित्त मंत्री थॉमस इसाक का एक बयान चल रहा है. इसमें उन्होंने कहा है कि वह आरबीआई की इस रिपोर्ट से सहमत नहीं हैं. उन्होंने कहा कि हम एसजीडीपी को लेकर नियमों का पालन कर रहे हैं. और जब तक इस सीमा का पालन होता रहेगा, किसी भी राज्य को कोई दिक्कत नहीं आएगी. लेकिन आरबीआई के पूर्व गवर्नर ने इस रिपोर्ट से पहले ही राज्यों के हालात पर चिंता जताई थी.आरबीआई के पूर्व गवर्नर डी सुब्बाराव से जब ईटीवी भारत ने कुछ दिनों पहले यह सवाल पूछा था कि ऐसा क्यों है कि हमारी राज्य सरकारें अधिक कर्ज ले रही हैं ? वे आय के स्वयं के स्रोत बनाने पर ध्यान केंद्रित क्यों नहीं कर रहे हैं ? उन्होंने कहा था कि वित्तीय प्रबंधन के एक भाग के रूप में ऋण की आवश्यकता होती है. यह समस्या असीमित उधार की वजह से है. अगर सरकार किसी चीज पर निवेश करने के लिए कर्ज की राशि खर्च करती है, तो इससे आय होगी. तब वे कर्ज भी चुका सकते हैं. लेकिन अगर करों में कटौती की जाए, सब्सिडी और लोकलुभावन योजनाओं के लिए ऋण खर्च किया जाए तो मुश्किल होगी. इससे हम श्रीलंका जैसे गंभीर आर्थिक संकट से घिर सकते हैं. हमारे देश में कुछ राज्य इस तरह से कर रहे हैं. आरबीआई की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक आंध्र प्रदेश सबसे ज्यादा कर्ज वाले लेने वाले शीर्ष पांच राज्यों में शामिल है.क्या कहा पीएम मोदी ने - हमें देश की रेवड़ी कल्चर को हटाना है. रेवड़ी बांटने वाले कभी विकास के कार्यों जैसे रोड नेटवर्क, रेल नेटवर्क का निर्माण नहीं करा सकते. ये अस्पताल, स्कूल और गरीबों को घर नहीं बनवा सकते. रेवड़ी कल्चर वाले कभी आपके लिए नए एक्सप्रेसवे नहीं बनाएंगे, नए एयरपोर्ट या डिफेंस कॉरिडोर नहीं बनाएंगे. ऐसे लोगों को लगता है कि मुफ्त की रेवड़ी के बदले उन्होंने जनता जनार्दन को खरीद लिया है.