पानीपत पांच साल पहले कंबल में चीन पर निर्भर था। यहां की 90 प्रतिशत मार्केट पर चीन का कब्जा बना हुआ था। वर्तमान में मिंक कंबल बनाने में हम आत्मनिर्भर हो चुके हैं। यह करिश्मा किसी और ने नहीं यहां के हैंडलूम उद्यमियों ने कर दिखाया है। अब कंबल चीन से नहीं आ रहा बल्कि पानीपत में बनकर पूरे देश की जरूरत को पूरा कर रहा है साथ ही विदेशों में निर्यात भी किया जा रहा है। इससे जहां लोगों को रोजगार के अवसर मिले हैं वहीं हम अपने विदेशी मुद्रा को बचा पा रहे हैं।
पानीपत में थ्रीडी चदर के चर्चे
पानीपत में हैंडलमू मार्केट में चीन की बनी थ्रीडी चादर से लेकर अन्य सभी बेडशीट, कंबल फ्लालेन, कंफर्ट, फुट मेट, बेबी क्लाख, कंबल चीन से आ रहे थे। 1500 करोड़ से अधिक का माल यहां आ रहा था। वर्तमान में हम थ्रीडी चादर से लेकर कंबल के निर्माण में आत्मनिर्भर हो चुके हैं। पानीपत इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के प्रधान प्रीतम सचदेवा का कहना है कि पानीपत के उद्यमियों ने अपने निजी प्रयासों से मिंक कंबल, थ्रीडी चादर बनाने में आत्मनिर्भरता हासिल की है। सरकार की सहायता के चलते उद्यमी अन्य उत्पाद में भी चीन को पछाड़ रहे हैं। पांच साल पहले चीन के कंबल और थ्रीडी चादर हर घर में शोभा बनते जा रहे थे। वर्तमान में घरों में पानीपत के बने मिंक, पोलर कंबल और थ्रीडी शोभा बढ़ा रहे हैं।
देश में चीन अब केवल दो -तीन प्रतिशत ही हाई रेंज का कंबल आता है। जिन लोगों को आयातित माल प्रयोग करना होता है। वही चीन का का माल खरीद रहे हैं।
पांच साल में कंबल आत्मनिर्भरता
2017 में 90 प्रतिशत मार्केट पर चीन का कब्जा
2022 में देश की 90 प्रतिशत मार्केट पर पानीपत का कब्जा
10 प्रतिशत कंबल ही पंजाब का अमृतसर लुधियाना की खपत
1200 टन कंबल रोजाना पानीपत में उत्पादन
10 हजार से अधिक लोगों का रोजगार मिला।सपने को साकार कर रहा पानीपत