ऐलनाबाद क्षेत्र में नरमा की फसल में मिलीबग नामक बीमारी का हुआ प्रकोप, धरतीपुत्र चिंतित

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Update: 2022-07-22 17:41 GMT

ऐलनाबाद। भौगोलिक दृष्टि से ऐलनाबाद कृषि बाहुल्य क्षेत्र है । धान के इलावा क्षेत्र में नरमा की फसल भी बहुतायत रूप में होती है । गत वर्ष नरमा के भावों में रिकार्ड तोड़ तेजी के चलते इस वर्ष क्षेत्र में धान कि फसल का रकबा घटा है और किसानों ने अधिक आर्थिक लाभ के लिए इस वर्ष नरमा की फसल की काश्त अधिक की है । किसान द्वारा अपने खेतों में नरमा की बिजाई किए हुए लघभग तीन महीने से अधिक का समय निकल गया है ओर नरमा की अगस्त या सितंबर माह में चुगाई की जानी है । ऐसे में नरमा की फसल में मिलीबग नामक बीमारी का एकाएक प्रकोप का होना धरती पुत्र के लिए चिंता का विषय है ।

क्या है मिलीबग
मिलीबग एक बारीक सफेद बेलनाकार कीट है। यह कपास के पौधों की टहनियों पर चिपक कर पौधे का रस चूस जाता है। इन कीटों की संख्या इतनी अधिक होती है कि दो से छः इंच लंबी डाली पर चारों ओर इस तरह चिपक जाता है कि फफूँद जैसा दिखाई देने लगता है। इस के प्रकोप से पौधा धीरे धीरे सूखने लगता है। उस पर लगे फल भी नष्ट हो जाते हैं। ऐसी ही बीमारी खंड के बेहरवाल रोड़ पर एक किसान के खेत मे आ गई है और किसान ने लगभग 7 एकड़ तक कि अपनी नरमा की फसल अपने ट्रेक्टर चलित मशीन से अपने खेत मे ही पलट दी है।
जिसके चलते उक्त किसान को काफी आर्थिक नुकसान हुआ है । उक्त किसान ने बताया कि उसने बहुत ही कड़ी मेहनत से अपनी नरमा की फसल को पाला सींचा था । तीन चार दिन पहले तक उसके खेत की फसल लहला रही थी । लेकिन अचानक उसके खेत मे सफेद काले तेले व मिलीबग ने आक्रमण कर दिया जो कि अनेको स्प्रे करने पर भी कंट्रोल में नही हुआ और यह बीमारी बढ़ती ही जा रही थी । परेशान हो कर उसने अपने खेत मे खड़ी सात एकड़ की नरमा की फसल को खेत मे ही पलट दिया है ।
क्या कहते है कृषि अधिकारी
कृषि अधिकारी राम चन्द्र ने बताया कि अभी तक उनके पास मिलीबग नामक बीमारी की किसी भी किसान ने कोई शिकायत नहीं की है। केवल मात्र टू फ़ॉर डी की स्प्रे से कुछ किसानों का नरमा खराब होने की शिकायत उनके सामने जरूर आई है । मिलीबग के बारे में उन्होंने बताया कि आज से सात आठ वर्ष पहले इस बीमारी का नरमा पर आक्रमण होता था और तब किसान इसका चुने से देसी नुस्खा प्रयोग कर कंट्रोल करने का प्रयास करते थे । लेकिन वर्त्तमान में मिलीबग की बीमारी लुप्त हो गई है । फिर भी यदि किसी किसान के खेत मे यह बीमारी आ भी जाती है तो इसके बचाव के लिए अभी इसका इलाज भी सम्भव है ।
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