नई दिल्ली। हरियाणा के झज्जर जिला के गांव बाढ़सा में लगभग 50 एकड़ भूमि पर भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली का एक्सटेंशन सेंटर स्थापित होगा। कैंपस में एमएससी, पीएचडी के अलावा विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स भी करवाए जाएंगे। विशेष कोर्सों और ट्रेनिंग प्रोग्राम से युवाओं की स्किलिंग होगी। सेंटर की स्थापना को लेकर हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने रविवार को दिल्ली स्थित हरियाणा भवन में आईआईटी दिल्ली के अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक में मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव वी उमाशंकर, तकनीकी शिक्षा तथा उच्चतर शिक्षा विभागों के प्रधान सचिव विजयेंद्र कुमार, महानिदेशक राजीव रतन के अलावा आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बेनर्जी व डीन तथा अन्य प्रोफेसरगण उपस्थित रहे। बैठक में मुख्यमंत्री ने गांव बाढ़सा में आईआईटी दिल्ली के एक्सटेंशन सेंटर की स्थापना को मंजूरी दी और आईआईटी दिल्ली की टीम को आश्वस्त किया कि इस मामले में हरियाणा सरकार उन्हें पूरा सहयोग देगी। उन्होंने कहा कि बाढ़सा में स्थित राष्ट्रीय कैंसर संस्थान से मिलने वाले मरीजों के डाटा और स्वस्थ्य विज्ञान का आईआईटी दिल्ली की टेक्नोलॉजी के समावेश से नई हेल्थ केयर प्रौद्योगिकियां विकसित होंगी।
इससे मरीजों के साथ-साथ खिलाड़ियों को भी लाभ मिलेगा। इस कैंपस में एमएससी, पीएचडी के अलावा विभिन्न प्रकार के सर्टिफिकेट कोर्स भी करवाए जाएंगे। इन विशेष कोर्सों और ट्रेनिंग प्रोग्राम से युवाओं की स्किलिंग होगी और स्थानीय युवाओं के लिए विभिन्न प्रकार के रोजगार के अवसर भी सृजित होंगे। मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि इस कैंपस में खिलाड़ियों को और बेहतर प्रदर्शन करने में मदद देने के लिए स्पोर्टस में बेहतर प्रदर्शन और चोटिल होने से बचाने की तकनीक भी विकसित की जाएगी। उन्होंने कहा कि हरियाणा के खिलाड़ी पहले ही राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं और जब उन्हें तकनीकी मदद मिलेगी तो वे और भी बेहतर प्रदर्शन कर पाएंगे। यह तकनीक हमारे पैरालंपिक खिलाड़ियों के लिए बेहद उपयोगी सिद्ध होगी। मुख्यमंत्री ने खिलाड़ियों के लिए विकसित की जाने वाली तकनीक और शोध को स्पोर्ट्स यूनिवर्सिटी राई (सोनीपत) के साथ तालमेल करके विकसित करने का सुझाव दिया ताकि खिलाड़ी उसका ज़्यादा लाभ उठा सकें। बैठक में आईआईटी दिल्ली के निदेशक प्रोफेसर रंगन बनर्जी ने बताया गया कि इस कैंपस में निर्माण, एकेडमिक प्रोग्राम तथा राष्ट्रीय कैंसर संस्थान के मरीजों पर फोकस करते हुए रिसर्च और डिजाइन फैसिलिटी आदि विकसित करने में लगभग तीन वर्ष का समय लगेगा। इस सेंटर में आर एंड डी फैसिलिटी, स्टार्ट अप, अन्य बीमारियों के लिए विस्तार के कार्यों आदि में 3 से 5 वर्ष का समय लग सकता है। स्पोर्टस इंजरी और प्रिसिजन मेडिसिन के लिए रिसर्च में 5 वर्ष से अधिक का समय लगने की संभावना है।