जींद। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने रोजगार कार्यालय के एक क्लर्क को बेरोजगारी भत्ता के मामले में 23 हजार रुपये रिश्वत लेते रंगे हाथों गिरफ्तार किया है। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो की टीम पकड़े गए आरोपित क्लर्क से पूछताछ कर रही है। गांव नगूरां निवासी मनदीप ने स्टेट विजिलेंस ब्यूरो को दी शिकायत में बताया कि वह सक्षम योजना के तहत रोजगार कार्यालय से 1500 रुपये प्रतिमाह बेरोजगारी भत्ता ले रहा था। वर्ष 2019 में उसने बीएड में दाखिला ले लिया। 2021 में उसकी बीएड पूरी हो गई। इस अवधि के दौरान भी वह बेरोजगारी भत्ता लेता रहा। रोजगार कार्यालय ने उसकी बीएड डिग्री की जांच की तो वह पकड़ में आ गया। जिस पर रोजगार कार्यालय ने बेरोजगार भत्ते के रूप में ली गई 48 हजार रुपये की राशि नौ प्रतिशत ब्याज के साथ भरने के लिए कहा था।
असमर्थता जताए जाने पर रोजगार कार्यालय के क्लर्क रोशन ने मामले को सेटल करने के लिए कहा। जिसके लिए 25 हजार रुपये की डिमांड की गई। आखिरकार 23 हजार रुपये में मामला सेट हो गया और बेरोजगार भत्ते की फाइल को रफा-दफा करने की बात कही गई। शिकायत के आधार पर विजिलेंस की छापामार टीम का गठन किया गया। आबकारी एवं कराधान विभाग के ईटीओ नरेश अहलावत को डयूटी मजिस्ट्रेट नियुक्त किया गया। जबकि स्टेट विजिलेंस ब्यूरो के निरीक्षक मनीष कुमार को टीम की कमान सौंपी गई। टीम ने शिकायतकर्ता मनदीप को पांच-पांच सौ रुपये 46 नोट डयूटी मजिस्ट्रेट से हस्ताक्षर तथा पाउडर लगा कर दे दिए। शिकायतकर्ता से सफीदों रोड पर पूनिया अस्पताल के निकट बस क्यू शेल्टर पर रिश्वत लेते क्लर्क रोशन को विजिलेंस की टीम ने रंगेहाथों गिरफ्तार कर लिया और उसके पास से रिश्वत की दी गई रकम भी बरामद कर ली गई। स्टेट विजिलेंस ब्यूरो ने क्लर्क रोशन के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर पूछताछ शुरू कर दी है।