दुष्यंत के मुख्यमंत्री पद के निशाने को साधने के लिए सारथी की भूमिका में दिग्विजय सिंह चौटाला

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Update: 2022-12-06 18:49 GMT
चंडीगढ़। भिवानी में 9 दिसम्बर को रैली के माध्यम से कांग्रेस में गुटबाज़ी का लाभ उठा मिशन 2024 में जबरदस्त उपस्थिति दर्ज करवाने के मूड़ में जेजेपी नजर आ रही है। उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला के मुख्यमंत्री पद के निशाने को साधने के लिए सारथी की भूमिका में दिग्विजयसिंह चौटाला नजर आ रहे हैं। प्रदेश ही नहीं बल्कि केंद्र की राजनीति में भी बेहद मजबूत पकड़ रखने वाले हरियाणा के बेहद मजबूत सियासी परिवार के वारिस दुष्यंत चौटाला की छोटी सी उम्र की पार्टी ने पिछले 2019 के आम चुनावों में अपने सभी विरोधी दलों को धूल चटाने का काम किया। सबसे छोटी उम्र में 16वी लोकसभा में सबसे कम उम्र का सदस्य बनने का सौभाग्य प्राप्त करते हुए दुष्यंत चौटाला का नाम सबसे युवा सांसद के रूप में लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में दर्ज हुआ। हरियाणा की बड़ी आबादी जाट वर्ग में बेहद मजबूत पकड़ रखने तथा किसानों के मसीहा माने जाने वाले जननायक चौधरी देवीलाल जो प्रदेश की जनता में बेहद लोकप्रिय थे और जिन्हें हरियाणा की जनता प्यार और सम्मान से ताऊ के नाम से बुलाती थी, उनकी विरासत के नए वारिस के रूप में दुष्यंत चौटाला ने एक बेहद मजबूत उपस्थिति दर्ज करवाई।
11 महीने पहले जन्मी जननायक जनता पार्टी ने 2019 के विधानसभा चुनाव में 90 में से 10 सीटें जीतकर दोनों मुख्य दलों कांग्रेस और भाजपा को ऐसे मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया कि बिना उनके साथ आए सरकार चलाना संभव ही नहीं था। चाबी के निशान वाली जजपा के हाथ में ही सत्ता की चाबी थी। दोनों राष्ट्रीय दल भाजपा और कांग्रेस बहुमत से दूर थे और दुष्यंत चौटाला किंग मेकर के रूप में आसमान में चमक रहे थे। प्रदेश के कद्दावर सियासी परिवार के वारिस दुष्यंत चौटाला ने राजनीतिक सरगर्मियों को देखते हुए और प्रदेश की जनता के हित में भारतीय जनता पार्टी के साथ जाने का फैसला लिया। चुनाव पूर्व किए गए वायदों को पूरा करने की शर्त पर दोनों दलों के बीच समझौता फरमान चढ़ा और दुष्यंत चौटाला को उपमुख्यमंत्री की कुर्सी पर विराजमान किया गया। जींद उपचुनाव में पहली बार चुनावी मैदान में उतरी जजपा की परफॉर्मेंस को देख कई बड़े दलों और नेताओं की गलतफहमी दूर हुई। क्योंकि बेशक भारतीय जनता पार्टी ने उस चुनाव में जीत दर्ज की हो, लेकिन बेहद मजबूत संगठनात्मक संरचना और मैनेजमेंट के दम पर जजपा सत्ता में भागीदार बनी थी।
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