घरेलू हिंसा के मामला! पत्नी ने भरण-पोषण के रूप में मांगे 50 हजार, दो-दो बिल्लियों का खर्चा शामिल
ग्राम कचहरी में पत्नी द्वारा किए गए घरेलू हिंसा के मामले में भरण-पोषण के रूप में पत्नी द्वारा अपने लिए 50 हजार की मांग की गई है। जिसमें पति ने छोड़ी हुई दो बिल्लियों के भरण-पोषण लिए 10 हजार की मांग की है। इस मामले में आगे की सुनवाई 25 नवंबर को होगी।
मलेशिया में हूँ थी शादी
इस मामले में मिली जानकारी के अनुसार 34 वर्षीय विवाहिता ने अधिवक्ता अनिल केला के माध्यम से ग्राम न्यायालय में घरेलू हिंसा का मामला दर्ज कराया है। जिसमें वह और उसके माता-पिता मलेशिया में रहते थे। उस समय मुंबई का एक युवक काम करने मलेशिया गया हुआ था। मलेशिया में युवती और एक युवक अपनी सामुदायिक सभा में मिले। फिर दोनों ने एक ही समाज से होने के कारण शादी करने का फैसला किया। इसके बाद साल 2015 में इन्होंने समाज के रीति-रिवाजों के अनुसार मुंबई में शादी कर ली। शादी के बाद परिणीता और उनके पति मलेशिया चले गए। 2018 में पति को अहमदाबाद में अच्छी नौकरी मिल गई और दोनों अहमदाबाद आ गए। साथ ही महिला अहमदाबाद में रहने वाली अपनी सास से मिलने उसके आती रहती थीं।
शुरू हुआ मानसिक प्रताड़ना
इस दौरान परिणीता काम कर रही थीं, इसलिए काम के बोझ के कारण वह घर के कामों पर ध्यान नहीं दे पाती थीं। जिससे सास-ससुर से झगड़ा होता रहता था। अहमदाबाद आने के बाद पति ने भी पत्नी को नजरंदाज करना शुरू कर दिया। उसने पत्नी के रूप में उसका सम्मान नहीं किया और उसे मानसिक प्रताड़ना दी। इतना ही नहीं सास ने बेटे का नाम उस घर से निकाल दिया, जहां ये पति-पत्नी रहते थे। पति अहमदाबाद छोड़कर बिना पत्नी से पूछे अपने माता-पिता के घर मुंबई चला गया। इतने में सास ने फोन कर सूचना दी। और घर से निकल जाने की धमकी दी। परिणीता ने स्थानीय थाने में पति के लापता होने की अर्जी दी है।
बिल्ली के पीछे बहुत खर्च होता है : पत्नी
गौरतलब है कि पति अपने पीछे दो पालतू बिल्लियां छोड़ गया है। दोनों बिल्लियां 5 साल की हैं। और वे दो पालतू बिल्लियां पत्नी पर आश्रित हैं। इस बारे में पत्नी का कहना हैं कि बिल्लियों के दूध और खाने के खर्च सहित 10 हजार प्रति माह का खर्च आता है। आगे पत्नी ने बताया ये दोनों बिल्लियां मेरे पति के नाम के कागजात के साथ मलेशिया से आयात की गई हैं। पति अच्छे वेतन पर उच्च पद पर कार्यरत है। इसलिए भरण-पोषण के रूप में 50 हजार प्रतिमाह स्वीकृत किया जाए।