सस्ते नशे की जद में नौनिहाल और युवा पीढ़ी

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Update: 2021-12-19 05:40 GMT

जसेरि रिपोर्टर: रायपुर/कांकेर। छत्तीसगढ़ के कांकेर जिले में नशे ने 8वीं के स्टूडेंट की जान ले ली। उसके मुंह पर एक पन्नी बंधी हुई थी, जिससे बोनफिक्स (नशा करने की एक ट्यूब) की बदबू आ रही थी। दम घुटने से मौत की आशंका जताई जा रही है। शनिवार को सुबह 6 बजे वो अपने घर से निकला था। मामला पखांजूर थाना क्षेत्र के बापू नगर का है। छात्र साहेब मंडल कापसी स्थित विवेकानंद स्कूल में पढ़ाई कर रहा था। कापसी में वह अपने मामा के घर रहता था। स्कूल की छुट्टी होने के कारण अपने घर बापूनगर आया हुआ था। इस तरह के नशे को लेकर डॅाक्टर दिलीप सिन्हा ने बताया की यदि ज्यादा मात्रा में बोनफिक्स का नशा किया जाए तो दिमाग सुन्न हो जाता है। इसके साथ ही नशा करने वाले को बेहोशी भी आ सकती है। इस दौरान थोड़ी सी लापरवाही जानलेवा साबित हो सकती है। झिल्ली अगर मुंह में चिपक गई तो सांस नहीं ले पाने के कारण मौत भी हो सकती है।

ऐसे करते हैं इस्तेमाल
बोनफिक्स का इस्तेमाल इन दिनों युवाओं में काफी बढ़ गया है। परेशान करने वाली बात ये है कि स्कूली छात्र भी नशा करने बोनफिक्स का इस्तेमाल करने लगे हैं। बताया जाता है कि इसके ट्यूब को पन्नी में पहले रगड़ा जाता है। इसके बाद उस झिल्ली को जोर-जोर से सूंघा जाता है।
दुकानों की करेंगी जांच
इधर,पखांजूर थाना प्रभारी मोरध्वज देशमुख ने बताया मामले में मर्ग कायम कर जांच की जा रही है। इस प्रकार के नशे में लगाम लगाने के लिए पुलिस सक्रियता से काम करेगी। दुकानों की भी जांच कराई जाएगी।
सस्ते नशे की जद में नौनिहाल और युवा पीढ़ी अपनी जिंदगी को दांव पर लगा चुकी है। वे इस दलदल से निकलने की कोशिश ही नहीं करते है। सरकार और पुलिस प्रशासन स्लम बस्तियों में रहने वाले आर्थिक रूप से कमजोर परिवार के बच्चों को स्कूली शिक्षा के साथ उन्हें नि:शुल्क रोटी, कपड़ा और मकान देने के बाद भी बच्चे न तो स्कूल जा रहे और न ही युवा रोजगार की ओर रूख कर रहा है। इसके पीछे सबसे बड़े कारण सस्ते नशे को माना जा रहा है। स्लम बस्तियों के बच्चे और सुबह से कचरे बिनने निकल जाते है और शराब की खाली बोतल के साथ मुक्कड़ से प्लास्टिक का थैला,कागज इक_ा हुए वेस्ट को बेचकर सस्ता नशा बोनफिक्स, सिलोशन या नशे की गोलियां खरीदकर दिन-रात नशे में मदमस्त रहते है। स्लम बस्तियों में रहने वाले नौनिहालों को सरकार नि:शुल्क शिक्षा देकर उनके जीवन स्तर को ऊंचा उठाना चाहती है लेकिन ये नशेड़ी बच्चे सरकारी योजना को पलीता लगा रहे है।
परिवार का बच्चों पर नियंत्रण नहीं : राजधानी सहित प्रदेश के स्लम बस्तियों में निवासरत परिवार का बच्चों पर बिलकुल नियंत्रण नहीं होने के कारण बच्चे बुरी संगतों में फंसकर मनमानी कर रहे है। बच्चे सस्ते नशे का शौक पूरा करने के लिए चोरी, छिनताई, उठाईगिरी, चाकूबाजी जैसे छोटे-छोटे अपराध करने के बाद बड़े अपराध की दुनिया में कदम रख रहे है। प्रदेश में बढ़ते अपराध पर पुलिस नियंत्रण तो कर रही लेकिन घर से ही बिगड़ चुके बच्चों को पुलिस भी सही रास्ते में लाने के लिए हाथ पांव मार रही लेकिन नशेड़ी बच्चों पर पुलिस का खौफ भी बेअसर नजर आ रहा है।
जेल से छूटते ही फिर करने लगते है अपराध : नशेड़ी बच्चे छोटी-मोटी चोरी-मारपीट, चाकूबाजी जैसे अपराध में जेल जाते है और जेल से छूटते ही फिर अपराध की दुनिया में लौट जाते है। नशेड़ी बच्चों में जेल और पुलिस का भय नहीं के बराबर है। सरकार बच्चों को नशे से मुक्त रखने के लिए कई योजनाएं चला रही है, लेकिन ये योजनाएं उन नशेडिय़ों बच्चों पर कारगर सिद्ध नहीं हो रही है।
नशे की गिरफ्त में है युवा पीढ़ी : मेडिकल व्यवसायी और नशा बेचने वाले नशीली दवाइयों के साथ सुलोशन, बोनफिक्स व कफ के सीरप भी अवैध तरीके से नशे के आदि युवकों को उपलब्ध कराते हैं। ज्यादातर दवा ये शहर के युवाओं को बेचते हैं। 18 से लेकर 30 साल के ज्यादातर युवा दवाओं के रेगुलर सेवन करते हैं। कुछ युवा नशे के आदि भी हो गए हैं। जो इन नशीली गोलियों का सेवन किये बगैर नहीं रह पाते हैं।
अपराध को रोकने में जुटी है पुलिस : शहर में बढ़ते अपराध को रोकने के लिए पुलिस हर संभव प्रयास कर रही है। चप्पे-चप्पे पर जवानों की तैनाती भी की गई है। साथ ही नशीली दवा हो या फिर गांजा की तस्करी इन सब पर रोक लगाने और इसके सप्लाई चेन तक पहुंचने का लगातार प्रयास किया जा रहा है। बीते दिन भी नशीली दवा के साथ एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया है।
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