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भिलाई। भारतीय मजदूर संघ के उद्योग प्रभारी एवं एनजेसीएस सदस्य देवेन्द्र कुमार पाण्डेय ने कहा कि दुर्गा पूजा के पूर्व बोनस न मिल पाना सेल कर्मियों एवं उनके परिवार सदस्यों के लिए निराशाजनक है इस सब के पीछे प्रबन्धन की हठधर्मिता और कुछ यूनियनों द्वारा पूर्व में एनजेसीएस फोरम में असहयोग मुख्य कारण रहा है। यदि एनजेसीएस यूनियन पूर्व में भी प्रबन्धन की हां में हां मिलाकर उनका साथ नहीं देती तो यह फोरम आज इतना मजबूत होता कि प्रबन्धन को झुकाना सम्भव होता।
भारतीय मजदूर संघ जबसे एनजेसीएस में प्रतिनिधित्व सम्भाला है तब से कुछ यूनियनों एवं प्रबन्धन की नींद हराम हो गई है। वहीं यूनियनें कर्मचारियों की एकता को तोड़ने की कोशिश में लगी है, पूर्व में भी बीएमएस के प्रयासों से वार्षिक बोनस इन लोगों के द्वारा तय बोनस से ज्यादा दिलाया गया है। पाण्डेय ने बताया कि वेज रिवीजन में भी भारतीय मजदूर संघ ने कर्मियों के हक की लड़ाई लड़ते हुए एक अच्छे बेज रिवीजन का रास्ता प्रशस्त किया यदि कुछ यूनियनों और प्रबन्धन की सांठगांठ में एनजेसीएस फोरम की एकता तोड़ कर पर्क्स को आम सहमति से तय सीमा को कम प्रतिशत पर हस्ताक्षर नहीं होता तो हम उस लक्ष्य को पा लेते, जिसके गणना पर आज पर्क्स बढ़ कर मिलता। फिर भी हमारी लड़ाई जारी है और कर्मचारियों का हक लेने के लिए संघर्षरत रहने वाले हैं।
19 सितंबर को हमने प्रबंधन को अपना रुख स्पष्ट करते हुए कहा कि सभी कर्मचारियों को 1 महीने की सैलरी बोनस के रूप में दिया जाय । प्रबन्धन के अस्वीकार करने पर बोनस की राशि की बात कही गई तो स्पष्ट कहा गया कि यदि एक महीने की सॉलरी नहीं देना है तो एस 1 और एस 11 के एक महीने की सॉलरी का औसत दिया जाना चाहिए और हम उस रुख पर कायम है । आम स मति के नाम पर उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की एकता बनाए रखने के लिए चारों यूनियनें जो राशि तय कर लें हमारा साथ रहेगा। कर्मचारियों की भावनाओं को समझते हुए सभी के साथ चलना आवश्यक होता है इसीलिए चार यूनियनों के द्वारा तय ₹ 50000/- राशि को चुपके से कम कर विरेन्द्र चौबे ने डा० रेड्डी से ₹45000/- की राशि ऑफर करवा दिया । उस पर भी सहमति बनाने का प्रयास किया। प्रबन्धन ₹ 26000/- देकर फ्री होना चाहता है । हमारा स्पष्ट मत है कि इससे बात नहीं बनेगी कर्मचारियों को उनका हक मिलना ही चाहिए।