आज विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर शासकीय अस्पतालों में होंगे जन जागरूकता कार्यक्रम

Update: 2022-07-11 07:20 GMT

रायपुर। जिले में जनसंख्या स्थिरता के लिए गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग को बढ़ाने और जनसंख्या को नियंत्रण करने के लिये जिले के शासकीय अस्पतालों में विश्व जनसंख्या दिवस के अवसर पर जन जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किए जायेगे।

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ.मीरा बघेल कहती है जिले में गर्भनिरोधक साधनों के उपयोग में हुई वृद्धि एनएफएचएस 4 में आधुनिक गर्भनिरोधक साधनों का 55% उपयोग हो रहा था वहीं एनएचएफएस-5 में यह आंकड़ा बढ़कर 76% हो गया है। वहीं अनमेट नीड की दर में भी आई कमी NFHS-5 सर्वे से यह भी पता चलता है कि गर्भनिरोधक साधनों की कमी की दर में भी कमी आई है। यह 10.9 % से घटकर 6.1 % पर आ गयी है यानि इसमें 4.8% की कमी दर्ज हुयी है।यह दर ऐसे योग्य दम्पत्तियों की दर को दर्शाती है जिनको गर्भनिरोधक साधनों की जरूरत है और वह उनको अपनाना भी चाहते हैं किन्तु उनकी पहुँच गर्भनिरोधक साधनों तक नहीं है।

डॉ. बघेल कहती है राज्य का सकल प्रजनन दर एनएफएचएस-4 (2015-16) में जहां 2.2 प्रतिशत थी जो कि बेहतर होकर एनएफएचएस-5 (2020-21) में 1.8 प्रतिशत हो गई है । जो प्रदेश में जनसंख्या के नियंत्रण का सूचक है । यह नियंत्रण के सूचकांक को दर्शाता है की प्रदेश में जनसंख्या के नियंत्रण में लोगों की जागरूकता बढ़ी है । रायपुर जिले में बीते चार वर्षों में 41,343 महिलाओं एवं 2264 पुरुषों की नसबंदी की गई है। इस दौरान वर्ष 2018-19 में 9720 महिलाओं एवं 460 पुरुषों, 2019-20 में 9674 महिलाओं एवं 694 पुरुषों, 2020-21 में 8827 महिलाओं एवं 376 पुरुषों तथा 2021-22 में 13,122 महिलाओं एवं 734 पुरुषों ने नसबंदी ऑपरेशन करवाकर जनसंख्या नियंत्रण में सहभागी बने है ।

डॉ. बघेल ने बताया "जनसंख्या नियंत्रण के लिये जनसंख्या स्थिरीकरण पखवाड़ा आयोजित किया जाता है । यह पखवाड़ा दो चरण में आयोजित होता है । प्रथम चरण में में ए.एन.एम. एवं मितानिन द्वारा गृह भ्रमण कर चिन्हांकित हितग्राहियों को स्थायी व अस्थायी परिवार नियोजन के साधनों के बारे में जानकारी दी जाती है। पखवाड़े के दूसरे चरण में सेवा प्रदाय की जाती है ।

जिले में शासकीय अस्पतालों में निःशुल्क परिवार नियोजन के साधन जैसे पुरुष एवं महिला नसबंदी, निरोध, गर्भ निरोधक गोली, अंतरा इंजेक्शन और कॉपर-टी की सुविधा उपलब्ध है। बच्चों और माता के अच्छे स्वास्थ्य के लिए परिवार नियोजन जरूर अपनाना चाहिए। पहले और दूसरे बच्चे के बीच तीन साल का अंतराल जरूरी है। परिवार नियोजन के अस्थाई साधनों का उपयोग कर यह अंतराल रखा जा सकता है। एन.एस.वी. बिना चीरा व टांके के 10-20 मिनट में पूरी की जाती है। इस प्रक्रिया में दर्द नहीं होता। नसबंदी के बाद किसी भी प्रकार की शारीरिक दुर्बलता नहीं होती है ।

लड़कियों की 18 वर्ष से कम उम्र में शादी के मामले में भी राज्य ने बेहतर प्रदर्शन किया है। NFHS-4 के अनुसार 18.9 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से पहले कर दी जाती थी किन्तु अभी जारी हुए NFHS-5 के आंकड़े यह बताते हैं अब यह दर घटकर 8.8% हो गयी है यानि ऐसे मामलों में 10.1% की कमी दर्ज की गई है जो महिलाओं के सशक्तिकरण और स्वास्थ्य के लिए एक अच्छा संकेत है। जिले की साक्षरता दर में भी वृद्धि हुई है । जहां एनएफएचएस 4 में 69.7% महिलाएं साक्षर थी वहीं अब यह बढ़कर 79.6% हो गयी है।

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