रायपुर। बिजली सरप्लस स्टेट छत्तीसगढ़ को गर्मी में उधार की बिजली से काम चलाना पड़ रहा है। डिमांड पूरी करने के लिए पंजाब और राजस्थान से उधार में बिजली ली गयी है। प्रदेश में पॉवर कंपनी के लिए मार्च से मई का महीना पीक टाइम का होता है। इसमें बिजली की डिमांड पूरी करने के लिए डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी दूसरे राज्यों से उधार की बिजली लेती है। इस समय प्रदेश में 5 हजार 700 मेगावाट से ज्यादा की बिजली खपत है, जबकि हमारा उत्पादन और सेंट्रल पूल मिलाकर हमें 5 हजार 400 मेगावाट तक ही बिजली मिल रही है।
राज्य पावर डिस्ट्रीब्यूशन कंपनी के एमडी मनोज खरे ने बताया कि फरवरी से ही बिजली की डिमांड बढ़नी शुरू हो जाती है, जो गर्मियों में मई माह तक रहती है। उन्होनें बताया कि इसे पावर सेक्टर में पावर बैंकिंग कहा जाता है, जिसमें डिमांड बढ़ने पर दूसरे राज्यों से बिजली की पूर्ति की जाती है। खरे ने बताया कि गर्मियों में डिमांड बढ़ने का पूर्वानुमान लगाया जाता है और उसी आधार पर दूसरे राज्यों से मांग की जाती है। मार्च में 5400 मेगावाट तक डिमांड बढ़ने पर मध्यप्रदेश से बिजली मांगी गयी थी लेकिन उन्होंने देने से इंकार कर दिया, जिसके बाद राजस्थान से 100 मेगावाट बिजली ली गयी।
इसी तरह अप्रैल में 5700 मेगावाट की डिमांड थी। वर्तमान में छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी की उत्पादन क्षमता करीब 3000 हजार मेगावाट है। बाकी 2300 मेगावाट बिजली सेंट्रल सेक्टर से लिया जा रहा। यही वजह है कि करीब 200 मेगावाट बिजली एक अप्रैल से पंजाब से लिए जाने का अनुबंध किया गया। गर्मियों में आमतौर पर बिजली उपभोक्ताओं के घरों में एसी,कुलर,फ्रीज,पंखे जैसे इलेक्ट्रॉनिक उपकरण चलते हैं। साथ ही रबी की फसल भी किसान इसी समय लेते हैं तब सिंचाई के लिए बिजली की जरूरत पड़ती है, इसके अलावा उद्योगों में भी इस समय बिजली की खपत बढ़ जाती है। दूसरे राज्यों से एक्सचेंज में बिजली लेकर उन्हें ब्याज सहित लौटाया जाता है।
मई महीने में करीब 4800 मेगावाट बिजली की डिमांड का अनुमान लगाया गया था लेकिन मई महीने में मौसम में हुए बदलाव की वजह से डिमांड कम हो गयी और स्थानीय बिजली उत्पादक कंपनियों से बिजली की आपूर्ति पूरी हो गयी। गर्मी का मौसम खत्म होते ही बिजली की मांग कम होने लगेगी इसके बाद जून से ही राज्यों को बिजली लौटाने की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। पंजाब में किसान गेहूं की खेती करते हैं और जून-जुलाई के बाद अक्टूबर तक यहां बिजली की डिमांड रहती है। ऐसे में छत्तीसगढ़ से कुछ यूनिट जोड़कर पंजाब को बिजली की सप्लाई की जाएगी, ठीक इसी तरह राजस्थान में भी डिमांड बढ़ने पर 100 मेगावाट बिजली के साथ कुछ यूनिट या मेगावाट बिजली जोड़कर उन्हें ब्याज सहित लौटाया जाएगा।
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