प्रतिबंध-जुर्माना, फिर भी नहीं रूक रहा सिंगल यूज प्लास्टिक का इस्तेमाल...
जसेरि रिपोर्टर
रायपुर। छत्तीसगढ़ में केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के आदेशों को मजाक बना दिया है। राजधानी में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है। और विभाग चुपचाप बैठकर तमाशा देख रही है। रसूखदार उद्योगपतियों ने पर्यावरण कानून के आदेश को मजाक बना दिया है। जिसकी जितनी मर्जी है धड़ाधड़ प्लास्टिक का उत्पाद बेखौफ कर रहा है।
पूरे भारत एक जुलाई से में सिंगल यूज प्लास्टिक पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। इसके बाद से प्रदेश में एसयूपी बनाने वाली फैक्ट्री पर कार्रवाई का जिम्मा पर्यावरण संरक्षण मंडल के पास है। वहीं, बाहरी राज्यों से परिवहन, आयात और निर्यात रोकने का जिम्मा नगरीय निकायों को सौंपा गया है। यही नहीं, एसयूपी की खरीदी-बिक्री करते पाए जाने पर भारी भरकम जुर्माने का भी प्राविधान है। बावजूद इसके एसयूपी की बिक्री पर लगाम नहीं लग पा रही है। छत्तीगसढ़ में सिंगल यूज प्लास्टिक (एसयूपी) पर प्रतिबंध के बाद भले ही पर्यावरण संरक्षण मंडल ने पांच फैक्ट्री का लाइसेंस निरस्त कर बंद करा दिया हो, लेकिन शहर से लेकर गांव तक एसयूपी पर रोक नहीं लग पाई है। राज्य सरकार ने एसयूपी को रोकने के लिए बकायदा गाइडलाइन जारी की है, लेकिन विभागों के बीच तालमेल नहीं होने के कारण पूरा मामला खटाई में पड़ गया है। नगरीय प्रशासन विभाग के अधिकारियों की मानें तो हर शहरी क्षेत्र में एसयूपी के इस्तेमाल को रोकने के लिए दुकानों, कारोबारियों के गोदाम और उत्पादन स्थल पर छापेमार कार्रवाई की जा रही है। अकेले रायपुर में पांच लाख से ज्यादा का जुर्माना वसूला गया है। राज्य सरकार ने प्लास्टिक के कैरी बैग, कप, प्लेट, ग्लास सहित होर्डिंग, फ्लैक्स और पीवीसी बैनर के निर्माण पर रोक लगाई है। पर्यावरण विभाग ने इस पर रोक लगाने के लिए कलेक्टर, एसडीएम और छत्तीसगढ़ पर्यावरण संरक्षण मंडल के क्षेत्रीय अधिकारियों को जिम्मा सौंपा है। नगरीय निकायों को यह जिम्मा सौंपा गया है कि वह प्लास्टिक आइटम की बड़े पैमाने पर खरीदी-बिक्री पर नजर रखे।
उसे माल, दुकान, सिनेमा हाल, स्कूल, कालेज में इस्तेमाल हो रहे सिंगल यूज प्लास्टिक पर कार्रवाई करनी है। एसयूपी को रोकने के लिए जागरूकता अभियान चलाना है। कंपनियों के लाइसेंस का नवीनीकरण इस शर्त पर करना है कि वह एसयूपी का उत्पादन और बिक्री नहीं करेंगे। पर्यावरण संरक्षण मंडल के सचिव आरपी तिवारी ने बताया कि एसयूपी निर्माण करने वाली पांच कंपनियों का लाइसेंस निरस्त किया गया है। मंडल की तरफ से अधिकारियों की टीम तमिलनाडु जा रही है, जहां एसयूपी के विकल्प के बारे में देशभर के प्रतिनिधि मंथन करेंगे। वेंडर अगर एसयूपी का इस्तेमाल करेगा तो पहली बार में 500 रुपये और दूसरी बार में एक हजार रुपये का जुर्माना लगेगा। बिक्री करने वाले दुकानदार पर पहली बार में 25 हजार, दूसरी बार में 50 हजार और उत्पादन करने वाले पर पहली बार में एक लाख और दूसरी बार में दो लाख रुपये जुर्माने का प्राविधान है। तिवारी ने कहा कि जब तक विकल्प उपलब्ध नहीं कराया जाएगा, एसयूपी को रोकना चुनौतिपूर्ण है। प्लास्टिक के विकल्प के रूप में पत्तों से बने प्लेट, दोना हो सकते हैं, लेकिन इनका व्यावसायिक स्तर पर उत्पादन करना कठिन काम है। साथ ही लोगों को एसयूपी का इस्तेमाल नहीं करने के लिए जागरूक करने की जरूरत है। पर्यावरण संरक्षण मंडल ने जागरूकता अभियान शुरू किया है, लेकिन इसे गांव-गांव तक पहुंचाने की जरूरत है। प्रदेश में सिंगल यूज प्लास्टिक के इस्तेमाल को रोकने के लिए सरकार ने टास्क फोर्स का गठन किया है। टास्क फोर्स की अब तक दो बैठक हो चुकी है। इसमें प्लास्टिक के विकल्प के रूप में कागज के बैग प्लेट, दोना-पत्तल को लोगों तक पहुंचाने का निर्णय किया गया है। वैवाहिक आयोजन स्थलों में सिंगल यूज प्लास्टिक का उपयोग नहीं करने एवं इसके विकल्प के रूप में नगरीय क्षेत्रों में स्थापित बर्तन बैंक से जरूरी सामान बर्तन लेने के लिए जागरूक किया जाएगा। हालांकि पर्यावरण संरक्षण मंडल के अधिकारियों का मानना है कि बर्तन बैंक पूरी तरह विकल्प नहीं बन सकता है।
प्रदेश के सभी नगरीय निकायों में एसयूपी पर रोक लगाने का निर्देश दिया गया है। निकायों को एसयूपी की खरीदी-बिक्री और इस्तेमाल करने वालों पर जुर्माना लगाने का भी निर्देश दिया गया है। इसके लिए राज्य सरकार के विस्तृत गाइडलाइन जारी की है। गाइडलाइन के आधार पर प्रदेश के नगरीय निकायों में कार्रवाई की जा रही है।
-अलरमेलमंगई डी, सचिव, नगरीय प्रशासन