छत्तीसगढ़ में मसाला, सगंध फसलों की संभावनाओं व क्षमताओं पर राष्ट्रीय कार्यशाला 14 से
छग
रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित बैरिस्टर ठाकुर छेदीलाल कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, सरकंडा, बिलासपुर में 14 एवं 15 मार्च को ‘‘मसाला एवं सगंध फसलें - छत्तीसगढ़ में संभावनाएं एवं क्षमताएं’’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। इस राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर द्वारा सुपारी एवं मसाला अनुसंधान संस्थान, कालीकट, केरल, राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड), रायपुर, उद्यानिकी एवं प्रक्षेत्र वानिकी निदेशालय, रायपुर तथा छत्तीसगढ़ विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, रायपुर के सहयोग से किया जा रहा है। दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ कल सुबह 11 बजे होगा जिसके मुख्य अतिथि मुख्यमंत्री के कृषि सलाहकार प्रदीप शर्मा हांगे। कार्यक्रम की अध्यक्षता इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल करेंगे। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में डॉ. मोहम्मद असलम, सलाहकार नॉर्थ ईस्टर्न डिवीजन - बी.पी.एम.सी. से ऑफ डी.बी.टी., नई दिल्ली, डॉ. ज्ञानेन्द्र मणि, मुख्य महाप्रबंधक राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक रायपुर, आनंद मिश्रा, प्रबंध मण्डल सदस्य, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, एवं बाबूलाल मीणा, उपनिदेशक सुपारी एवं मसाला विकास निदेशालय, कालीकट केरल उपस्थित रहेंगे। इस कार्यशाला में देश के विभिन्न राज्यों के विषय विशेषज्ञ शामिल होंगे तथा छत्तीसगढ़ में मसाला एवं सगंध फसलों के उत्पादन की संभावनाओं एवं क्षमताओं के संबंध में विचार-विमर्श करेंगे।
इस अवसर पर मसाला एवं सगंध फसलों के उत्पादन, प्रसंस्करण तथा मूल्य संवर्धन तकनीकों पर प्रदर्शनी का आयोजन भी किया जाएगा। कार्यक्रम के आयोजन सचिव एवं महाविद्यालय के अधिष्ठाता डॉ. आर.के.एस. तिवारी ने बताया कि इस दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का मुख्य उद्देश्य छत्तीसगढ़ राज्य में मसाला एवं सुगंधित फसलों की खेती का प्रचार एवं प्रसार कर प्रगतिशील कृषकों को इसकी खेती की तकनीकी जानकारी से अवगत कराना है एवं भविष्य में राज्य शासन के सहयोग से मसाला फसलों के प्रसंस्करण हेतु पहल कर कृषकों को आत्मनिर्भर बनाना है। दो दिवसीय राष्ट्रीय कार्यशाला के दौरान हल्दी, अदरक, काली मिर्च, हरी मिर्च, इलायची, दालचीनी, लौंग, धनियां, मेथी, लहसुन, सौंफ, जीरा आदि मसाला फसलों तथा लेमन ग्रास, सेट्रोनेला, पचौली, मोनार्डा, तुलसी, खस, गेंदा, गुलाब, चमेली, चंदन आदि सगंध एवं औषधीय फसलों के छत्तीसगढ़ में उत्पादन की संभावनाओं एवं क्षमताओं के संबंध में गहन विचार-विमर्श किया जाएगा। उल्लेखनीय है कि वर्तमान में छत्तीसगढ़ में लगभग 9 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सगंध एवं औषधीय फसलों की खेती की जा रही है, जिनसे 60 हजार मेट्रिक टन से अधिक उत्पादन प्राप्त हो रहा है। राज्य की प्रमुख मसाला फसलें अदरक, लहसुन, हल्दी, धनिया एवं मेथी हैं। प्रदेश में लगभग एक लाख हेक्टेयर क्षेत्रफल में मसाला फसलों की खेती की जा रही है, जिनसे लगभग 7 लाख मेट्रिक टन उत्पादन मिल रहा है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंर्गत संचालित विभिन्न केन्द्रों द्वारा मसाला एवं सगंध फसलां पर अनुसंधान किया जा रहा है। यहां इन फसलां पर दो अखिल भारतीय समन्वित विकास परियोजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिसके अंतर्गत रायपुर केन्द्र में वर्ष 2010 से अखिल भारतीय औषधीय एवं सगंध फसलें समन्वित विकास परियोजना तथा रायगढ़ केन्द्र में वर्ष 1995-96 ये अखिल भारतीय मसाला फसलें समन्वित विकास परियोजना संचालित की जा रही है। इन दोनों परियोजनाओं के अंतर्गत इन फसलों की अनेक नवीन उन्नत किस्में तथा उत्पादन की उन्नत प्रौद्योगिकी विकसित की गई है।