बच्चों को दीजिए कार से पहले संस्कार

Update: 2022-09-23 03:29 GMT

रायपुर। राष्ट्र-संत श्री ललित प्रभ जी महाराज ने कहा कि जो माता-पिता बच्चों को केवल जन्म देते हैं वे सामान्य हैं, जो बच्चों को जन्म के साथ सुविधाएं-संपत्ति देते हैं, वे माता-पिता मध्यम हैं, पर जो अपने बच्चों को जन्म और सम्पत्ति के साथ अच्छे संस्कार भी देते हैं वही उत्तम माता-पिता कहलाते हैं। उन्होंने अभिभावकों से कहा कि वे अपने बच्चों को इतना सुयोग्य बनाएं कि वे समाज की अग्रिम पंक्ति में बैठने लायक बन सकें और बच्चे ऐसा जीवन जीएं कि लोग उनके माता-पिता से पूछने लग जाएं कि आपने ऐसी कौनसी पुण्यवानी कि जो आपके इतने अच्छी संतान पैदा हुई। उन्होंने कहा कि बच्चों को पढ़ा-लिखाकर केवल शिक्षित ही न बनाएं वरन् संस्कारित भी बनाएं।

संतप्रवर गुरुवार को लक्ष्मी नगर में आयोजित प्रवचन कार्यक्रम के दौरान सैकड़ों भाई-बहनों को संबोधित कर रहे थे। बच्चों को कार से पहले संस्कार देने की सीख देते हुए संतश्री ने माता-पिता से कहा कि अगर आप अपने बुढ़ापे को सुखी बनाना चाहते हैं तो बच्चों को केवल कार न दें, साथ में संस्कार जरूर दें। उन्होंने कहा कि अच्छे संस्कार दुनिया के किसी मॉल में नहीं मिलते ये तो घर के अच्छे माहौल में मिलते हैं। हमें इतना उत्तम जीवन जीना चाहिए कि हमारा जीवन ही बच्चों के लिए आदर्थ बन जाए।

परिवार का माहौल अच्छा बनाएं: बच्चों को संस्कारित करने का पहला सूत्र देते हुए संतश्री ने कहा कि परिवार का माहौल अच्छा बनाएं। बच्चों पर धन के साथ समय का भी निवेश करें। घर में अच्छा साहित्य रखें। घर में सम्मान की भाषा बोलें। नाम के पहले श्री व बाद में जी लगाएं, बड़ों के पांव छुएं, मेहमानों को गेट तक पहुंचाने जाएं, घर में लड़ाई-झगड़े का वातावरण न बनाएं और व्यसनों का कदापि सेवन न करें।

जीवन-प्रबंधन के गुर सिखाए: दूसरे सत्र में संतश्री ने कहा कि बच्चों को जीवन-प्रबंधन के गुर सिखाएं। उन्हें जल्दी सोने, जल्दी उठने, सात्विक खाने और मर्यादित कपड़े पहनने एवं बच्चों को थाली धोकर के रखने और औरों को खिलाकर खाने की प्रेरणा दें।

आगे बढ़ने की ललक पैदा करें: संतश्री ने बच्चों एवं युवाओं से कहा कि अतीत को भूलें, वर्तमान को शक्तिशाली बनाएं, भविष्य आपका स्वागत करने के लिए तैयार खड़ा है। बस, आगे बढ़ने की भीतर में ललक होनी चाहिए। संतश्री ने युवा पीढ़ी को काबिल बनने के गुर देते हुए कहा कि वे कामयाबी के पीछे नहीं भागें, वरन काबिलियत बढ़ाएं। जहां काबिलियत है वहां कामयाबी खुद चल कर आती है।

परोपकार करने की प्रेरणा देते हुए संत श्री ने कहा कि अगर हम पेंसिल बनकर किसी के लिए सुख नहीं लिख सकते तो कम-से-कम रबर बनकर उनके दुख तो मिटा ही सकते हैं। घर में खाना बनाते समय एक मुट्ठी आटा अतिरिक्त भिगोएं और सुबह पूजा करते समय 10 रुपए दूसरों की मदद के लिए गुल्लक में डालें। एक मुट्ठी आटे की रोटियां तो दुकान जाते समय गाय-कुत्तों को डाल दें और नकद राशि को इकट्ठा होने पर किसी बीमार या अपाहिज की मदद में लगा दें। मात्र नौ महिने में आपके सारे ग्रह-गोचर अनुकूल हो जाएंगे।

उन्होंने कहा कि रास्ते से गुजरते समय मंदिर आने पर आप प्रार्थना में हाथ जोड़ें और अगर कोई एंबुलेंस गुजरती नजÞर आए तो उसे देखकर उसके लिए ईश्वर से दुआ अवश्य करें। संभव है आपकी दुआ उसे नया जीवन दे दे। अगर आप किसी मजदूर से दिनभर मेहनत करवाते हैं तो उसका पसीना सूखे उससे पहले उसे उसका मेहनताना दे दीजिए। किसी के मेहनताने को दबाना हमारे आते हुए भाग्य के कदमों पर दो कील ठोकना है। विद्यालय भी ईश्वर के ही मंदिर हुआ करते हैं, पर विद्यालय बनाना हर किसी के बूते की बात नहीं होती। आप केवल किसी एक गरीब बच्चे की पढ़ाई को गोद ले लीजिए, आपको विद्यालय बनाने जैसा पुण्य ही मिलेगा।

राष्ट्रसंत ने कहा कि दूध का सार मलाई है, पर जीवन का सार दूसरों की भलाई है। हमें रोज छोटा-मोटा ही सही पर एक भलाई का काम जरुर करना चाहिए। बिल गेट्स और अजीम प्रेमजी जैसे अमीरों ने दुनिया की भलाई के लिए हजारों करोड रुपयों की चैरिटी की है। आप फूल-पांखुरी ही सही, चैरिटी के काम अवश्य करें। दुनिया में कुछ लोग खाकर राजी होते हैं, कुछ लोग खिलाकर। आप प्रभु से प्रार्थना कीजिए कि प्रभु सदा इतना समर्थ बनाए रखना कि मैं औरों को खिलाकर खुश होने का सौभाग्य प्राप्त करूं। इससे पूर्व लक्ष्मी नगर पहुंचने पर श्रद्धालु भाई बहनों द्वारा राष्ट्र संघ का धूमधाम से स्वागत किया गया। मंच संचालन संजय राय सोनी द्वारा किया गया।

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