माकपा महाधिवेशन कल से केरल के कन्नूर में, छत्तीसगढ़ से भाग लेंगे 6 प्रतिनिधि
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी का 23वां महाधिवेशन कल 6 अप्रैल से केरल के कन्नूर में शुरू होने जा रहा है। इस महाधिवेशन में पार्टी के राज्य सम्मेलन द्वारा निर्वाचित 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल हिस्सा लेगा। प्रतिनिधिमंडल में पार्टी राज्य सचिव संजय पराते, संयोजकमंडल के सदस्य एम के नंदी, धर्मराज महापात्र तथा राज्य समिति सदस्य प्रशांत झा, सुरेंद्र लाल सिंह और समीर कुरैशी शामिल है।
माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने बताया कि पूरे देश मे एक लाख से अधिक पार्टी ईकाईयों मे संगठित माकपा के 10 लाख सदस्यों ने पिछले 6 माह से जारी अपनी इकाईयों, लोकल कमिटियों, जिला और राज्य सम्मेलनों के माध्यम से लगभग 800 प्रतिनिधियों का महाधिवेशन के लिए निर्वाचन किया है। ये प्रतिनिधि आगामी 6 से 10 अप्रैल तक केरल के कन्नूर शहर मे होने जा रहे पार्टी की 23 वीं कांग्रेस मे हिस्सा लेंगे। पूरे देश से निर्वाचित प्रतिनिधियों के यहां पहुंचने का सिलसिला जारी है।
उन्होंने बताया कि इस पार्टी महाधिवेशन के लिए केंद्रीय कमिटी द्वारा फरवरी माह मे ही राजनैतिक प्रस्ताव का मसौदा जारी कर दिया गया था। इस मसौदे पर पूरे देश मे पार्टी सदस्यों, पार्टी ईकाईयों और पार्टी समर्थकों द्वारा चर्चा की गई है और उन्होंने अपने सुझाव व संशोधन केंद्रीय कमिटी को भेजे हैं। इन सुझावों व संशोधनों पर पार्टी महाधिवेशन मे भाग लेने वाले प्रतिनिधि विचार-विमर्श करेंगे तथा उसे अंतिम रूप देंगे। इसके साथ ही राजनैतिक-सांगठनिक रिपोर्ट पर भी चर्चा की जाएगी तथा अगले तीन वर्षों के लिए पार्टी की राजनैतिक-कार्यनीतिक दिशा तय की जायेगी।
माकपा नेता ने बताया कि पूरे देश मे माकपा ही एकमात्र ऐसी राजनैतिक पार्टी है, जिसके नीति निर्धारण में जनवादी तरीके से सभी पार्टी सदस्यों का प्रतिनिधित्व व भागीदारी सुनिश्चित की जाती है। यह प्रक्रिया पार्टी के अंदर लोकतांत्रिक क्रियाकलाप का उच्चतम स्वरूप है। इस महाधिवेशन मे ही पार्टी की नयी केंद्रीय कमिटी, पोलिट ब्यूरो और अखिल भारतीय महासचिव का चुनाव किया जाएगा।
पराते ने कहा कि इस सम्मेलन में अंतर्राष्ट्रीय परिस्थितियों के आकलन के साथ-साथ हमारे देश में राजसत्ता पर काबिज कार्पोरेट-सांप्रदायिक गठजोड़ से बनी भाजपा के नेतृत्व वाली सरकार द्वारा भारत के धर्मनिरपेक्ष-लोकतांत्रिक संविधान को कमजोर किए जाने, राष्ट्रीय संपदा को निजीकरण-मौद्रीकरण की नीतियों के जरिये पूंजीपति वर्ग के हवाले करने और देश मे सांप्रदायिक उन्माद पैदा कर धार्मिक धुव्रीकरण करने तथा मनुवाद आधारित 'हिन्दू-राष्ट्र' के निर्माण की साजिश रचने, आम जनता की आजीविका पर हमला करने की संघ-भाजपा की देशविरोधी नीतियों से निपटने के लिए जन आंदोलनों को तेज करने और 'हिन्दुत्व' की सांप्रदायिक विचारधारा को शिकस्त देने रणनीति बनाई जाएगी। माकपा का महाधिवेशन भाजपा को अलग-थलग करने और आगामी चुनावों में उसे निर्णायक रूप से पराजित करने की योजना बनाने पर अपना ध्यान केंद्रित करेगा, ताकि संविधान के बुनियादी मूल्यों, देश और जनता को बचाया जा सके।