सब इंजीनियर के पद पर नौकरी के नाम पर ठगी, अपराध दर्ज

छग

Update: 2022-10-25 13:44 GMT
बिलासपुर। एक व्यक्ति दो विभागों में पूरे छह साल तक नोकरी करते रहा। अचरज की बात कि दोनों ही विभाग के आला अफसरों से लेकर महकमा को भी भनक तक नहीं लगने दी। रेलवे में तकनीशियन व पीडब्ल्यूडी में सब इंजीनियर के पद पर काम करते रहा। हर महीने दोनों विभाग से वेतन भी लेते रहा। फर्जीवाड़ा खुलने के बाद दोनों विभाग के आला अधिकारियों ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है। जुर्म दर्ज होते ही जेल जाने के डर से फरार हो गया है। फ़रारी में अग्रिम जमानत के लिए हाई कोर्ट में याचिका दायर की है। मामले की गम्भीरता को देखते हुए कोर्ट ने जमानत आवेदन को खारिज कर दिया है। आरोपित युवक ने रेलवे में काम करते हुए अनापत्ति प्रमाण पत्र हासिल कर लिया।
पीडब्ल्यूडी में सब इंजीनियर के पद पर भर्ती के आवेदन जमा किया। लोक निर्माण विभाग में चयन होने के बाद पीडब्ल्यूडी में सब इंजीनियर के पद पर पदस्थापना आदेश जारी हुआ। नोकरी ज्वाइन करने के बाद रेलवे के अफसरों को जानकारी नहीं दी और न ही पड़ से इस्तीफा दिया। लोक निर्माण विभाग के अफसरों को भी नही बताया कि रेलवे में अब भी नोकरी कर रहा है। दोनों विभागों में छह साल तक नौकरी करता रहा। जब मामला सामने आया, तब उसके दोनों विभाग के अधिकारियों ने उसके खिलाफ एफआइआर दर्ज कराई। फरार आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए हाईकोर्ट में याचिका लगाई थी।
रायगढ़ विनोबा नगर निवासी संतोष कुमार कश्यप रेलवे में टेक्निकल ग्रेड- तीन के पद पर कार्यरत था। 30 नवंबर 2007 को लोक निर्माण विभाग में सब इंजीनियर के रिक्त पदों पर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी हुआ । तब उसने भर्ती प्रक्रिया में शामिल होने के लिए रेलवे से अनापत्ति प्रमाण पत्र ले लिया। इस दौरान उसका चयन सब इंजीनियर के पद पर हो गया। फिर उसने वर्ष 2008 लोक निर्माण विभाग में नोकरी ज्वाइन भी कर लिया। इस दौरान उसने रेलवे की नौकरी से इस्तीफा भी नहीं दिया। करीब छह साल तक दोनों विभाग में एक साथ काम करता रहा।
दो सरकारी विभाग में एक साथ नौकरी करने की शिकायत की जानकारी जब उसे मिली तब उसने वर्ष 2014 में रेलवे की नोकरी से इस्तीफा दे दिया। इधर, मामले का खुलासा होने के बाद उसके खिलाफ चक्रधर नगर थाने में भादवि की धारा 420 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज कर लिया गया। मामला दर्ज होने के बाद आरोपित युवक फरार है। फरारी के दौरान ही उसने अपने वकील के जरिये छत्तीसगढ़ हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत के लिए आठ मार्च 2016 को याचिका दायर किया था।
जिसे कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद उसने कुछ समय पहले दोबारा अग्रिम जमानत अर्जी लगाई। मामले की सुनवाई जस्टिस गौतम भादुड़ी के सिंगल बेंच में हुई। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने केस डायरी और जांच रिपोर्ट में पाया कि उसने रेलवे से वर्ष 2014 में इस्तीफा दिया था, जबकि उसने वर्ष 2008 में ही पीडब्ल्यूडी में सब इंजीनियर के पद पर ज्वाइनिंग ले ली थी। धोखाधड़ी के साथ ही जानबूझकर किया गया अलराध मानते हुए हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत अर्जी खारिज कर दी है।
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