बिल्डर मालामाल होने के लिए प्लैट बेचने का दे रहे प्रलोभन

Update: 2022-04-01 05:15 GMT
  1. बिल्डरों का फंडा, बड़े-बड़े ब्रोशर से मार्केटिंग कर निवेशकों फंसाने का खेल, सोशल मीडिया में प्रोपोगंडा
  2. प्रदेश में फ्लैट के दाम औंधे मुंह गिरे, 60 लाख के फ्लैट का 30 लाख में भी लेवाल नहीं
  3. निम्न और मध्यम आय वर्गीय लोगों के नाम आरक्षित मकान-दुकान, प्लाट के नाम पर धोखाधड़ी
  4. बिल्डरों ने प्रापर्टी बुक कराने के नाम पर निवेशकों को दे रहे छूट का लालच
  5. एक रुपए टोकन मनी देकर गृह प्रवेश का बिछाया जाल
  6. बिल्डरों के प्रोजेक्टों में गरीब और निम्नआय वर्गीय लोगों के लिए आरक्षण का प्रावधान नहीं

जसेरि रिपोर्टर

रायपुर। राजधानी के नए नवेले और धनाड्य वर्ग से जुड़े बिल्डरों ने अंधाधुंध कमाई करने का रास्ता निकाल लिया है। राजधानी के बिल्डरों की तथाकथा कभी समाप्त नहीं होने वाला महापुराण है। जिसमें सैकड़ों दलालों को कमीशन पर एपाइंट कर निवेशकों को फंसाने का खेल चल रहा है। रेरा की ताजा रिपोर्ट पर नजर तो पूरे प्रदेश में सबसे ज्यादा डिफाल्टर राजधानी के बिल्डर है। जिसकी सैकड़ों की तादात में रेरा में शिकायत दर्ज है। निवेशकों और जरूरतमंद लोगों को अपने बहुमंजिला प्रोजेक्ट में नाना प्रकार की सुविधाओं का उल्लेख कर जरूरतमंद नागरिकों को फंसा कर नियत समय में फ्लेट देने के साथ स्कूल, हास्पिटल, सुरक्षा गार्ड, 24 घंटे पानी, बिजली,मनोरंजन के लिए क्लब हाउस, मंदिर, गार्डन होने का दावा करने वाले बिल्डरों ने महंगे दाम पर लोगों को प्रापर्टी खपाने के बाद न तो फ्लेट दिए और न ब्रोशर में उपलब्ध सुविधाएं दी। जिससे नाराज खरीदारों ने रेरा में बिल्डरों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है। जिसके कारण पिछले दो सालों राजधानी में बिल्डरों की प्रापर्टी मिट्टी के भाव भी नहीं बिक रहे है। प्रापर्टी में निवेश करने वालों को एक साल में दोगुनी कीमत दिलाने का झांसा देकर प्रापर्टी बेचने वाले बिल्डरों ने नुकसान से बचने के लिए अब नई-नई स्कीम लेकर आ रहे है । जिसमें 25 लाख के टू-बीएचके फ्लेट को 13 से 15 लाख में बेचने का झांसा देना शुरू कर दिया है। प्रदेश में कोरोना के खात्मे के साथ राजधानी के बिल्डरों ने अपनी डिफाल्टर वाली छवि को सुधारने के लिए प्रापर्टी मेला, पार्टी का आयोजन कर निवेशकों को फोन,एसएमएस, वाट्सएप से रोजाना सैकड़ों फोन लगाकर तैयार हुए और होने वाले प्रोजेक्टों को विजिट करने के लिए आमंत्रित कर रहे है। इसके पीछेे भी अलग कहानी है। कैसे भी करके पब्लिक का पैसा बिल्डरों तक पहुंचे और वो पैसा हड़पकर पब्लिक की आंखों में धूल झोंक सके।

डाउन पेमेंट और बैंक फाइनेंस का लालच

घर, मकान, दुकान के जरूरतमंद लोगों को फोन करके कम डाउन पेमेंट और सै फीसदी वैंक फाइनेंस कराने के झांसे के साथ जब तक पजेशन नहीं दिया जाता, तब तक का किराया या बैंक की किश्त बिल्डर देगा, इस तरह के फंडे से लोगों को अपने झांसे में फंसाने का मार्केटिंग शुरू हो गई है। जबकि बैंक के व्यवहारिक नियम कायदे से आम लोग भलीभांति परिचित है, प्रापर्टी खरीदने के लिए बैंक के अधिकारियों से सांठगांठ हो तो 90 फीसदी से ज्यादा होन लोन फाइनेंस नहीं हो सकता। निययत: बैंक की अपनी होम लोन की गाइड लाइन है जिस पर सामान्य तौर पर 80 फीसदी होम लोन का प्रावधान है। फिर बिल्डर कैसे 100 फीसदी होम लोन की गारंटी दे रहे है यह समझ से परे है। पब्लिक को भी समझना चाहिए कि घर की जरूरत तो जीवन की अनिवार्य आवश्यकतों में से पहली प्राथमिकता वाली जरूरत है। जिसकी जरूरत हर गरीब और अमीर को होती है। लेकिन राजधानी के बिल्डरों ने तो लोगों को चूना लगाने के लिए नए-नए तरकीब निकाल रहे है। बिल्डरों ने दस प्रतिशत डाउन पेमेंट के नाम पर रकम लेकर बैंक से फाइनेंस की गारंटी भी प्रापर्टी खरीदारों को दे रहे है।

रेरा छत्तीसगढ़ के चेयरमैन विवेक ढांड के मुताबिक फरवरी-2018 से रेरा छत्तीसगढ़ में रियल एस्टेट परियोजनाओंं का पंजीयन हो रहा है। पंजीयन कराए बिना काम करने वाले बिल्डरों पर दस हजार रु. प्रतिदिन के हिसाब से जुर्माना लगाने का प्रावधान है। रियल एस्टेट परियोजनाओं के प्रमोटरों के लिए भी यह अनिवार्य कर दिया गया है कि वे अपना लेन-देन सिर्फ पंजीकृत एजेंटों के माध्यम से ही करें।

जो रजिस्टर्ड नहीं उनसे ना खरीदें प्रॉपर्टी

रेरा का यह भी कहना है कि ऐसे प्रोजेक्ट जिसे रेरा रजिस्ट्रेशन नंबर नहीं मिला है, उसमें ग्राहकों को निवेश नहीं करना चाहिए।

अपंजीकृत प्रोजेक्ट पर दोगुना शुल्क

रेरा ने अभी तक पंजीयन न कराने वाले बिल्डरों पर सख्ती शुरू कर दी है। रेरा के नए नियमों के तहत अब अपंजीकृत प्रोजेक्ट पर पंजीयन शुल्क का दोगुना विलंब शुल्क लगेगा। रजिस्ट्रार अजय अग्रवाल ने बताया कि विलंब शुल्क की न्यूनतम सीमा 25 हजार रुपये है।

गोकुल नगर में शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज घास जमीन को अवैध रूप से विक्रय किये जाने की शिकायत कलेक्टर जनदर्शन में करते हुए बेची गई जमीन की रजिस्ट्री तत्काल निरस्त कर सरकार के नियंत्रण में लेने की मांग की । वार्ड कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष मनोज पाल ने उक्ताश्य की जानकारी देते हुए बताया कि क्षेत्र की महिलाओं के साथ रायपुर दक्षिण के प्रत्याशी कन्हैया अग्रवाल के नेतृत्व में महिलाओं ने अपर कलेक्टर श्री साहू को ज्ञापन देकर पटवारी हल्का नंबर 71 ,खसरा नंबर 01/01 को तत्काल भू माफियाओं के कब्जे से मुक्त कराने की मांग की । क्षेत्र की महिलाओं ने अपर कलेक्टर को बताया कि कलेक्टर को ज्ञापन देने के बाद भी भू माफियाओं के हौसले बुलंद है । अपर कलेक्टर ने आश्वस्त किया कि शासकीय भूमि पर कब्जे का प्रयास सफल नहीं होगा। उन्होंने उक्त जानकारी देते हुए बताया, कि 15 दिन पूर्व कलेक्टर सौरभ कुमार से मुलाकात कर शासकीय भूमि को अवैध रूप से विक्रय किये जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए ज्ञापन दिया गया था । शासकीय रिकॉर्ड में पटवारी हल्का नं. 71 के अंतर्गत खसरा क्रमांक 01/01 क्षेत्रफल लगभग चैदह एकड़ आज भी घास जमीन के रूप में दर्ज है परंतु मौके पर एक एकड़ जमीन भी उपलबध नहीं है ।उन्होने बताया कि मौके पर जाने से जमीन के अनेक मालिक मिल रहे हैं ।

शासकीय रिकॉर्ड में दर्ज घास जमीन को प्लॉटिंग करके बेच दिया गया है , इस कार्य में भू-माफियाओं के साथ राजस्व विभाग का अमला भी शामिल है । जनदर्शन में प्रमुख रूप से सर्व कन्हैया अग्रवाल ,मनोज पाल, जागेश्वर राजपूत, नागेंद्र वोरा, नरेंद्र ठाकुर, राजेश त्रिवेदी ,सरोज कश्यप, निशा कश्यप ,कुंती कुर्रे ,दामिनी कुर्रे, मेहंदी मसीह, वर्षा यादव ,कुमारी साहू ,सुनीता देवांगन ,नेहा देवांगन, जिज्ञासा साहू, पुष्पा निराला, रेखा देवांगन ,डोमिन चक्रधारी उपस्थित थे ।

10 बिल्डरों पर चला रेरा का डंडा

ग्राहकों की शिकायत के बाद रेरा ने रियल इस्टेट कारोबार से जुड़े 10 बिल्डरों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए उन्हें ब्याज समेत पैसे लौटाने के निर्देश दिए हैं। बताया जा रहा है कि इन बिल्डरों पर चार लाख से 31 लाख तक का जुर्माना किया गया है। निर्देश न मानने की स्थिति में और भी कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। बिल्डरों पर समय से रजिस्ट्री न कराने के साथ यह भी शिकायत थी कि विज्ञापन में जो वादे किए गए थे, उन्हें पूरा नहीं किया गया। रेरा ने बिल्डरों से प्रोजेक्ट का रजिस्ट्रेशन कराने को भी कहा है।बड़े बिल्डरों पर हुई इस कार्रवाई से रियल इस्टेट छोटे कारोबारी डरे हुए हैं। वे यह कोशिश में लग गए हैं कि उनके खिलाफ कोई भी शिकायत रेरा में पहुंचने से पहले ही बाहर सुलझा लिया जाए। वहीं विभाग की यह कोशिश है कि उपभोक्ताओं की शिकायतों का निपटारा जल्द से जल्द किया जाए।

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