बिलासपुर। रायपुर डाकघर में राशि जमा करने के नाम पर करोड़ों का घोटाला करने की आरोपित पत्नी की अग्रिम जमानत अर्जी हाई कोर्ट ने नामंजूर कर दी है। अदालत ने आपत्तिकर्ता के इस तर्क से सहमति जताई कि पति के अपराध में प्रार्थी पत्नी भी बराबर का हिस्सेदार है।
रायपुर निवासी स्व. भूपेन्द्र पांडेय और उनकी पत्नी आकांक्षा डाकघर रायपुर के एजेंट थे। इन लोगों ने कुछ साल पहले अपने परिचितों और अन्य लोगों से संपर्क कर उन्हें डाक विभाग की फिक्स डिपोजिट योजना के बारे में जानकारी दी।
इसमें ज्यादा से ज्यादा मुनाफे का लालच देकर बहुत से लोगों से करोड़ों रुपये जमा करा लिए। सभी ने पैसों के लालच में काफी रकम लगाई। कई लोगों ने सेवानिवृत्त होने के बाद जमा पूंजी लगा दी। उन्हें एजेंट दंपती रसीद भी देते रहे।
2020 में भूपेन्द्र ने बिलासपुर में रेल से काटकर आत्महत्या कर ली। इसके कुछ समय बाद लोगों को चिंता हुई तो डाकघर से संपर्क किया। यहां पता चला कि किसी का कोई पैसा जमा नहीं हुआ है। इस तरह करोड़ों रुपये का गोलमाल किया गया।
2021 में पीड़ितों ने रायपुर के सरस्वती नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई। इसे निरस्त कराने आकांक्षा ने हाई कोर्ट में याचिका लगाई। जस्टिस पीपी साहू ने इसे खारिज कर दिया था। इसके बाद से फरार चल रही आरोपित ने हाई कोर्ट में अग्रिम जमानत लगाई।
मामले में जस्टिस गौतम भादुड़ी की सिंगल बेंच में सुनवाई हुई। आपत्तिकर्ता के वकील पवन केशरवानी ने इस पर आपत्ति करते हुए कहा कि याचिकाकर्ता भी अपने पति के साथ घोटाले में पूरी तरह शामिल थी। सह अभियुक्त होने के कारण इन्हें जमानत नहीं दी जानी चाहिए। इस तथ्य को स्वीकार कर गुरुवार को हाई कोर्ट ने अग्रिम जमानत खारिज कर दी।