सरकारी स्कूलों को बंद करने की साजिश का आरोप, राज्यपाल से हस्तक्षेप की मांग
छग
राजनांदगांव। सरकारी मिडिल स्कूलों से विषय बाध्यता को समाप्त करने स्कूल शिक्षा के निर्णय का लगातार विरोध किया जा रहा है। शिक्षकों और पालकों ने भी अपना विरोध दर्ज कराया है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसिएशन ने सोमवार को राज्यपाल से मिल कर इस मामले में हस्तक्षेप करने की मांग की है। शिक्षक वर्ग इस मामले में सुप्रीम कोर्ट तक जा चुका है। जिसमें राज्य सरकार को नोटिस जारी कर तीन सप्ताह में जवाब प्रस्तुत करने को कहा गया है। एसोसियेशन के प्रतिनिधि मंडल ने राज्यपाल से इस अधिसूचना के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की मांग की है। छत्तीसगढ़ पैरेंट्स एसोसियेशन के प्रदेश अध्यक्ष क्रिष्टोफर पॉल का कहना है कि अधिसूचना जो 11 जुलाई 2023 को राजपत्र में प्रकाशित हुई है, जिसे राज्यपाल के नाम व आदेशानुसार जारी किया गया है, इस अधिसूचना के क्रियान्वयन पर तत्काल रोक लगाने की मांग की गई है। सरकार ने जो सेवा भर्ती एवं पदोन्नति नियम 2019 में संशोधन किया वह भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 और शिक्षा का अधिकार कानून के अनुसूचि एक का परस्पर विरोधी है। संविधान बच्चों की गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की बात करता है तो वहीं शिक्षा का अधिकार कानून स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की भर्ती की अनिवार्यता में जोर देता है।
संशोधन को बताया बायलॉज के विपरित
पॉल ने कहा शिक्षा का अधिकार कानून के प्रावधान 23 (1) के अनुरूप केन्द्र सरकार ने स्कूलों में टीचर्स की योग्यता निर्धारण करने का अधिकार सिर्फ राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद नई दिल्ली को दिया है। इसके बाद भी स्कूल शिक्षा विभाग ने मिडिल स्कूलों में शिक्षकों की भर्ती को लेकर जो संशोधन किया है, वह एनसीटीई के बायलॉज के विपरीत है, शिक्षकों की योग्यता निर्धारण करने का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं है। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाना राज्य की जिम्मेदारी है। सभी सरकारी स्कूलों में गरीब और वंचित समूह के बच्चे पढ़ते है।
सरकारी स्कूलों के भविष्य से खिलवाड़ होगा
राज्य सरकार ने संविधान और आरटीई कानून का उल्लंघन कर गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ समझौता कर जो नियम बनाया है। लाखों गरीब बच्चों का भविष्य बर्बाद हो जाएगा, अब सरकारी मिडिल स्कूलों में विषय विशेषज्ञों की नियुक्ति नहीं हो पाएगी। सरकारी मिडिल स्कूलों में हिन्दी का शिक्षक विज्ञान पढाएगा और संस्कृत का शिक्षक अंग्रेजी तो गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दिलाने पालक अपने बच्चों को निजी स्कूलो में पढ़ाने मजबूर होंगे। सरकारी स्कूल बंद होंगे इस कारण इसका विरोध किया जा रहा है।