हत्या मामले में आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा

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Update: 2022-11-27 11:28 GMT
रायपुर। हत्या के मामले में न्यायाधीश ने ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए दोषी को एक नहीं बल्कि तीन आजीवन कारावास की सजा सुनाई है. दोषी ने अपनी सास के साथ-साथ अपने दो सालों की लकड़ी से मारकर हत्या करने के बाद सबूत मिटाने के लिए तीनों के शरीर में मिट्टी तेल डालकर जला दिया था. मामला रायपुर जिला न्यायालय का है, जहां अपर सत्र न्यायाधीश विभा पांडेय ने अभियुक्त चन्द्रकांत निषाद को धारा 302 के मामले में प्रत्येक अपराध के लिए आजीवन कारावास से दंडित किया है. जानकारी के अनुसार, घटना 9 अक्टूबर 2019 रात 11 बजे ग्राम बाना आरक्षी केन्द्र उरला की है. आरोपी ने अपनी सौतेली सास दुलौरिन बाई के साथ अपने साले सोनू निषाद और संजय निषाद की हत्या कर दी थी. इसके बाद 10 अक्टूबर की सुबह आरोपी ने थाने पहुंच कर आग लगने से मृत्यु होने की सूचना दी थी.
मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट में मृत्यु हत्यात्मक प्रवृत्ति से होने की बात कही गई थी, जिसके बाद पुलिस की कड़ाई से पूछताछ में आरोपी ने अपना अपराध स्वीकार किया था. इसके बाद खारून नदी से लकड़ी का खुरा और मिट्टी तेल का डिब्बा बरामद किया गया था. न्यायालय ने अभियुक्त चन्द्रकांत निषाद को मृतका दुलौरिन बाई, मृतक सोनू निषाद, संजय निषाद की हत्या कारित करने के अपराध में भारतीय दंड संहिता की धारा 302 (तीन बार) के तहत तीन व्यक्तियों की हत्या कारित करने का दोषी पाया. इस पर प्रत्येक अपराध के लिए आजीवन कारावास के साथ 100-100 रुपए (कुल तीन सौ रुपए) के अर्थदंड से दंडित किया गया. इसके साथ अभियुक्त को साक्ष्य विलोपित के लिए धारा 201 भारतीय दंड संहिता के अपराध के लिए पांच वर्ष का सश्रम कारावास और 50 रुपए के अर्थदंड से दंडित किया गया. कारावास की सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी.
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