रायपुर। शिक्षकों, कार्यकर्ताओ एवं साधको ने "भारतीय योग संस्थान का 56 वा योग दिवस " को भारतीय योग संस्थान के समस्त साधको ने मिलकर बी टी आई ग्राउंड शंकर नगर में बड़े ही धूम-धाम से मनाया गया। इस सुंदर,गरिमामयी,प्रेरणादायी कार्यक्रम में योग के साथ सांस्कृतिक मनोरंजक कार्यक्रम जिसमे योग नृत्य,गरबा नृत्य,प्रेरणा दाई गीत एवम प्रेरणादाई योग पथ नाट्य कला का भी मंचन किया गया।
संस्थान के सभी साधको एवं कार्यकर्ताओ का प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष सहयोग रहा आगे भी ऐसे शक्तिवर्धक,उर्जादायी,उत्साहवर्धक,प्रेरणादायी एवं योग से जोड़ने हेतु और मन को आनन्दित और प्रफुल्लित करने वाले कार्यक्रम का आयोजन करते रहने हेतु संकल्प लिया।* *इस कार्यक्रम में रायपुर जिले के समस्त केंद्रों का सामूहिक योग साधना जिसमे आसन* *प्राणायाम,ध्यान के साथ योग हेतु प्रेरित करने सांस्कृतिक कार्यक्रम रखा गया है । कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्वलन कर सरस्वती वंदना अवंती विहार की टीम ने कर प्रारंभ किया ।मंच संचालन सुदेशना मेने और रिया फतनानी ने तथा आसन प्रदर्शन* *अनीता जोशी,रोशनी एवम प्रांजल ने किया आकर्षक सूक्ष्म क्रिया का अभ्यास गरबा नृत्य के माध्यम से सपना, किरण और लक्ष्मी प्रजापति की टीम ने कराई । सूर्य नमस्कार का सुंदर अभ्यास कांति लूनिया द्वारा कराई गई । आसनों की श्रृंखला में कमर* *चक्रासन,कोनासन,उष्ट्रासन,सरपासननौकासन,पदोत्तानासन,मार्जरी आसन, धनुराशन,सेतुबंधासन जिसे सभी योग शवासन,सिंहासन,हास्यासन का अभ्यास शिखा साहू,महेश* *रूपरेला,नीलम,ममता और राजेश डागा ने कराया । सुंदर हंसी का अभ्यास राजेश डागा जी ने कराया विरेचन क्रिया और प्लवनी प्राणायाम राजेश अग्रवाल भ्रामरी और ध्यान प्रार्थना का अभ्यास वंदना अहुजा ने* *कराया । समस्त क्रियाएं मन को आनन्दित करने वाला और प्रेरणादायी था।*
सांस्कृतिक कार्यक्रमो में गरबा पर योग नृत्य कटोरा तालाब केंद्र टीम,प्रेरणा दाई गीत टैगोर नगर टीम, भारतीयता पर देशभक्ति गाने पर नृत्य, अंत में सूचना व आभार प्रदर्शन नीतू मूंदड़ा जी ने किया लक्ष्मी मूर्ति , पलक डिंगवानी,अरुणा प्रजापति ने योग सम्बन्धी साहित्य एवं सामग्री की व्यवस्था की थी । राष्ट्रगान के साथ स्वल्पाहार वितरण करते हुए कार्यक्रम का समापन किया गया कर्यक्रम को सफल बनाने मुकेश सोनी,के आर साहू,अक्षय सूद,जाया,भावना,प्रकाश बजाज,अशोक ईसरानी,सरिता,अर्चना,कविता, पूजा,पिंकी,कैलाश आदि रायपुर के साधकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया।