स्कूली व आंगनबाड़ी बच्चों का शत-प्रतिशत स्वास्थ्य जांच सुनिश्चित हो: कलेक्टर
छग
महासमुन्द। कलेक्टर मलिक ने आज राष्ट्रीय बाल स्वास्थ्य कार्यक्रम चिरायु की समीक्षा में कहा कि स्कूली बच्चों और आंगनबाड़ी में पढ़ने वाले सभी बच्चों का स्वास्थ्य जांच सुनिश्चिित हो। इसके लिए चिरायु टीम रोस्टर बनाकर जांच करें। उन्होंने कहा कि जांच के दौरान बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति के लिए शिक्षा विभाग व महिला बाल विकास के साथ चिरायु टीम का समन्वय स्थापित हो। उन्होंने यह भी कहा कि डॉक्टर चिरायु योजना अंतर्गत आने वाले प्रत्येक रोगों के बारे में जानकारी रखें। मलिक ने आज दोपहर जिला कार्यालय के सभाकक्ष में चिरायु टीम की बैठक ली। बैठक में मुख्य चिकित्सा व स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. पी. कुदेशिया, डीपीएम डॉ. नीलू धृतलहरे व चिरायु की टीम मौजूद थी।
कलेक्टर मलिक ने कहा कि टीम आंतरिक प्रशिक्षण के लिए कार्ययोजना बनाएं और उसका क्रियान्वयन करें। कलेक्टर ने कहा कि लैब टेक्निशियन के पांच पद खाली है, जिसे जल्द ही भरा जाएगा। हमारी कोशिश है कि प्रत्येक ब्लॉक में एक लैब टेक्निशियन की नियुक्ति हो। समीक्षा के दौरान कलेक्टर ने कहा कि स्कूल में हर बच्चे का जांच कार्ड होना चाहिए। उन्होंने प्रत्येक बच्चों का हीमोग्लोबिन टेस्ट व सिकल सेल टेस्ट अनिवार्य रूप से करने के निर्देश दिए हैं। साथ ही कहा कि यदि बच्चे में किसी प्रकार की विकलांगता पायी जाती है, तो दिव्यांग प्रमाण-पत्र बनाने के लिए समाज कल्याण विभाग से समन्वय करें।
उन्होंने आदिवासी छात्रावासों में भी स्वास्थ्य जांच के लिए निर्देश दिए। कलेक्टर ने कहा कि बच्चों की स्वास्थ्य हमारी पहली प्राथमिकता है। प्रत्येक बच्चे स्वस्थ रहे। यदि किसी तरह की बच्चों में विकलांगता पायी जाती है, तो उसका जांच कर उपचार किया जाएगा। बैठक में बताया गया कि चिरायु टीम की ओर से अभी तक कुल 7240 बच्चों का उपचार के लिए चिन्हांकन किया गया था। जिसमें से 7234 का उपचार किया जा चुका है। ज्ञात है कि जिले में 11 चिरायु टीम गठित है।