बिहार | गांवों से अधिक शहर के बच्चे मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं. शहरों की आरामतलबी जीवनशैली के कारण बच्चों में मधुमेह के मामले बढ़ रहे हैं. इस कारण ही अब 30 तक पहुंचते-पहुंचते लोग इसकी गिरफ्त में आने लगे हैं. जबकि, गांवों की आबो हवा व शरीरिक गतिविधियों के कारण वहां के बच्चे न सिर्फ मधुमेह से बल्कि अन्य कई बीमारियों से भी बच रहे हैं. शहर के बच्चे मोबाइल पर अधिक व्यस्त रहते हैं. वहीं पढ़ाई का दबाव व तनाव इन बच्चों को बीमार बना रहा है.
आम तौर से बच्चों में मधुमेह के कारण कोई विशेष परेशानी नहीं होती है. बीमारी होने पर अभिभावक सीधा अन्य बीमारियों की जांच करा इलाज करा लेते हैं. मधुमेह बीमारी की तरफ इनका ध्यान ही नहीं जाता है. जबकि, जंक फुड व अधिक वसायुक्त भोजन लेने से मोटापा की शिकायतें बढ़ी हैं, जो बाद में मधुमेह बीमारी होने का कारण बनती है.
सामान्य तौर में बच्चों में अगर मधुमेह बीमारी की आक्रामकता को देखा जाय तो 4 से 7 साल या 10 से 14 साल के बच्चों की जांच में इस बीमारी के होने की आशंका अधिक रहती है. इस उम्र में जांच में मधुमेह को पकड़ा जा सकता है.
जेनरल फिजिसियन डॉ. मिथिलेश प्रसाद, डॉ. आरएन प्रसाद, डॉ. राजीव रंजन ने बताया कि हालिया रिपोर्ट चौंकाने वाले आ रहे हैं. बच्चों को लेकर इस तरह का पुख्ता आंकड़ा भले ही न हो. लेकिन, बच्चों में बढ़ता मोटापा, तनाव, अवसाद, जंक फुड का अधिक उपयोग, शारीरिक श्रम नहीं करना, पढ़ाई का दबाव व अन्य कारण उन्हें बीमार बना रहा है. इस कारण वे मधुमेह की चपेट में आ रहे हैं.