जातिगत जनगणना पर पटना हाई कोर्ट के आदेश में दखल देने से सुप्रीम कोर्ट का इनकार

Update: 2023-05-18 14:22 GMT
नई दिल्ली (आईएएनएस)| सुप्रीम कोर्ट ने बिहार में कास्ट सेंसस पर रोक लगाने के पटना हाई कोर्ट के अंतरिम आदेश में दखल देने से गुरुवार को इनकार कर दिया। जस्टिस अभय एस. ओका और जस्टिस राजेश बिंदल की पीठ ने सवाल किया कि अदालत को क्यों इस मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए। कोर्ट ने बिहार सरकार से हाई कोर्ट में अपनी दलीलें रखने के लिए कहा, जहां मामले की सुनवाई 3 जुलाई को निर्धारित है।
बिहार सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान ने कहा कि प्रक्रिया पूरी करने के लिए राज्य को केवल 10 दिन चाहिए।
राज्य सरकार ने शीर्ष अदालत से आदेश पास करने पर जोर दिया, लेकिन पीठ ने कहा कि उसे देखना होगा कि क्या सर्वे की आड़ में जनगणना तो नहीं है, जिसे हाई कोर्ट ने इंगित किया है। कोर्ट ने कहा, यह ऐसा मामला नहीं है जिसमें हम आपको अंतरिम राहत दे सकें।
राज्य सरकार के वकील ने कहा कि सर्वे जनगणना की तरह नहीं है और तर्क दिया कि राज्य को आंकड़े एकत्र करने के लिए विधायी क्षमता है।
दलीलें सुनने के बाद, शीर्ष अदालत ने 14 जुलाई को राज्य सरकार की याचिका पर सुनवाई निर्धारित की, अगर हाई कोर्ट मामले की सुनवाई नहीं करती है तो।
बिहार सरकार ने पटना हाई कोर्ट के 4 मई के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। राज्य ने तर्क दिया कि रोक पूरी कवायद पर प्रतिकूल प्रभाव डालेगी और जाति आधारित डेटा का संग्रह अनुच्छेद 15 और 16 के तहत एक संवैधानिक जनादेश है।
इसने तर्क दिया कि इसने कुछ जिलों में सर्वे का काम 80 प्रतिशत से अधिक पूरा कर लिया है। इसने आगे कहा कि डेटा के संग्रह पर रोक से भारी नुकसान होगा, सरकारी खजाने पर अतिरिक्त बोझ बढ़ेगा, साथ ही लॉजिस्टिक्स लगाने की जरूरत पड़ेगी।
पटना हाई कोर्ट ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए बिहार सरकार को जाति आधारित सर्वे तत्काल बंद करने का निर्देश दिया था।
--आईएएनएस
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